पहले हमारे पूर्वज जिस जली राख से पहले बर्तन धोते थे। चूल्हा चौका साफ करने के बाद उस राख को खेतों में यूं ही फेंक देते थे। आज समय बदलने के साथ साथ उस राख का प्रयोग भी बदल गया है। और अब वही राहत ऑनलाइन अट्ठारह सौ रुपए की मिल रही है।

इंटरनेट के दौर में हम सभी तरह की चीज़ों को घर से ही ऑर्डर कर देते हैं। नए जमाने में हमने पुराने तरीकों को बदला है। अब हम सिर्फ सामान ही ऑनलाइन ऑर्डर नहीं कर रहे हैं बल्कि हमने अपनी जीवनशैली बदल दी है। जीवनशैली बदलने के कारण हमारे शरीर पर इसका बुरा असर भी पड़ा है। पहले हम लस्सी पीते थे, सत्तु का शर्बत पीते थे, मगर आजकल हम कोल्ड ड्रिंक्स पी रहे हैं। पहले घर में चना-चबेना खाते थे, मगर आज हम चिप्स खा रहे हैं. याद होगा बचपन में हम दोने में खाना खाते थे, मगर आज प्लास्टिक की प्लेट में खाना खा रहे हैं। बर्तन धोने के लिए हमारे पूर्वज राख का इस्तेमाल करते थे। मगर आजकल हम बर्तन धोने वाले साबुन का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं ऑनलाइन कंपनियां फिर से लोगों को वही चीज़ें महंगे दामों में बेच रही है।

फ्री में मिलने वाली चूल्हे की राख अमेजन पर 1800 रुपये प्रति किलो मिल रही है। इस तरह अमेजन पर कई ऐसी चीज़ें महंगी मिल रही हैं, जो हमें बिल्कुल मुफ्त में मिला करती थी। उपले हो या दातून, खाट हो या फिर पूजा के लिए लकड़ी… सबकुछ ऑनलाइन मिल रहा है। इसके लिए आपको बहुत ही ज़्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।

Ash Powder के नाम से बिकने वाली ये राख ऑनलाइन बाजार में 1800 रुपये प्रति किलो है। Cow Dung के नाम से उपले को पैकिंग कर बेचा जा रहा है। इसके लिए 450 रुपये कीमत रखी गई है। Chew Sticks मतलब दातून, इसे ऑनलाइन 100-150 रुपये में बेचा जा रहा है।

सभ्यता के नाम पर हमने कई चीज़ों का त्याग कर दिया है, मगर अडवांस होने के कारण हम फिर से उन्हीं चीज़ों को अपना रहे हैं। पहले प्रकृति से हमें ये चीज़ें फ्री में मिल जाती थीं, मगर अब हमें पैसे चुकाने पड़ रहे हैं।

 

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