देहरादून: गैरसैंण की अनदेखी पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने राज्य सरकार को जमकर घेरा है। दसौनी ने कहा कि 2020 में भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करते हैं जून 2020 में गजट नोटिफिकेशन जारी होता है और मार्च 2021 में जब गैरसैंण में बजट सत्र गतिमान था तब अचानक त्रिवेंद्र रावत को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाता है और तीरथ रावत राज्य के नए मुख्यमंत्री बनाए जाते हैं परंतु 4 महीने के उपरांत ही भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड की जनता के दिए हुए सम्मान और विश्वास का मखौल उड़ाते हुए आखिरी साल में तीसरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जनता पर थोप देती है।

परंतु इस सियासी ड्रामे का दुखद पहलू ये है की त्रिवेंद्र के बाद दोनों ही मुख्यमंत्रियों के लिए गैरसैंण गैर हो गया। राज्यवासियों की भावनाओं के ऊपर अंधविश्वास भारी पड़ा और दोनों ही मुख्यमंत्री गैरसैंण को त्रिवेंद्र के लिए अपशकुन मानते हुए मार्च 2021 से लेकर मार्च 2023 तक गैरसैंण का रुख तक नहीं करते।

दसौनी ने कहा की जब मण्डल कमीशन विरोध आंदोलन उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में तब्दील हुआ था तब प्रचलित नारे हुआ करते थे, ” आज दो , अभी दो , उत्तराखण्ड राज्य दो ”
” लाठी – गोली खायेंगे – उत्तराखण्ड बनवायेंगे ”
1994 में जब आंदोलन पूरे शबाब पर था तो गली गली में गूंजता था –
“ कोदा – झींगोरा खायेंगे , उत्तराखण्ड बनवायेंगे ”
” जुल्म सहेंगे , जोर सहेंगे , राज्य अपना बनवायेंगे ”
अब जब उत्तराखण्ड बन भी गया सरकारें आती रहीं सरकारें जाती रहीं स्लोगन जस के तस वही रहे , बस पिछले बाइस सालों में कुछ शब्दों का हेर फेर हो गया है
” आज लो , अभी लो,
माल दो और काम लो”

” नोट मोटा खायेंगे, टेंडर तुम्हीं को करवायेंगे ”
” मंत्री हमारा , माल तुम्हारा,
हर नियम, शर्ते बदलवायेंगे, ”
“दारू – मुर्गा रोज दो ,
अपनी मर्जी का काम लो”

दसौनी ने धामी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा के ऐसा प्रतीत होता है कि त्रिवेंद्र रावत के द्वारा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित तो कर दिया गया परंतु उनके दल के ही नेता गैरसैंण को लेकर आज भी पशोपेश और उहापोह की स्थिति में है ।
भारतीय जनता पार्टी के अंदर ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी मानने पर एकमत या एक राय नहीं बन पा रही है। दसौनी ने कहा कि यह उत्तराखंड राज्य का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है की आज उत्तराखंड की जनता सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के हाथों शोषित हो रही है, उनका उत्पीड़न हो रहा है, आतंक का माहौल है, कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है, भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया से युवा निराश और हताश हो चुका है, चारों तरफ घोर अंधेरा दिखाई पड़ रहा है, ऐसे में धामी सरकार बताएं कि क्या इस बार गैरसैंण में होने वाले बजट सत्र के दौरान वह प्रदेश की जनता का खोया हुआ विश्वास लोटा पाएंगे? क्या धामी सरकार बता पाएगी की इस साल ग्रीष्मकाल में ग्रीष्मकालीन राजधानी से कितने दिन कितने महीनो तक राज्य सरकार संचालित होगी?

 

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