हल्द्वानी:  नेपाल के केंद्रीय सांख्यिकी विभाग ने बहुप्रतीक्षित जनगणना रिपोर्ट जारी कर दी। यूं तो इसमें नए नेपाल का प्रतिबिंब है। बदले सामाजिक व आर्थिक हालात का जिक्र है। मगर सबसे बड़ी बात जनगणना के बहाने नेपाल की प्रचंड सरकार ने भारत से नए रिश्तों की शुरुआत के संकेत देते हुए इसमें भारत के कालापानी (पिथौरागढ़) क्षेत्र को शामिल ही नहीं किया है।

असल में 26 जनवरी 2022 को चीन के प्रभाव में आकर तत्कालीन नेपाल के पूर्व-प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सरकार ने कालापानी को अपना बताते हुए मुद्दे को तूल देने के लिए यहां भी जनगणना टीम भेजने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि अगर भारतीय सुरक्षा एजेंसियां हमारी टीम को रोकती हैं तो हम सेटेलाइट व ड्रोन की भी मदद लेंगे। लेकिन उनकी मंशा धरी की धरी रह गई। नेपाल में आम चुनाव में करारी हार के बाद ओली सत्ता से बाहर हो गए और नेपाली कांग्रेस की मदद से पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने नेपाल की कमान संभाली।

उन्होंने शुक्रवार को खुद जनगणना की अंतिम रिपोर्ट जारी की, जिसमें कालापानी क्षेत्र का कोई जिक्र नहीं है। मामले में भारत-नेपाल संबंधों के जानकार यशोदा लाल बताते हैं कि यह दोनों देशों के रिश्तों में हो रहे सुधार की अहम कड़ी है। इसे रिश्तों की नई शुरुआत कह सकते हैं। ओली ने जिस तरह से चीन के प्रभाव में आकर भारत से रिश्तों को खराब करने की भरसक कोशिश की, उसे प्रचंड काफी हद तक सुधार सकते हैं।

वहीं, नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव ने कहा-सरकार ने कुछ सोच कर ही यह कदम उठाया होगा। बाकी अभी मैंने जनगणना की पूरी रिपोर्ट नहीं पढ़ी है। पढ़ने के बाद ही कुछ कह सकता हूं।

नेपाल के केंद्रीय सांख्यिकी विभाग ने जनगणना की प्रारंभिक रिपोर्ट में कालापानी क्षेत्र के कुटी, गुंजी व नाबी की कुल आबादी 600 बताई थी। इसमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा को भी शामिल करने का दावा किया था। विभाग के तत्कालीन उप महानिदेशक हेमराज रेग्मी के अनुसार इस शुरुआती विवरण के लिए उन्होंने सेटेलाइट इमेज व क्षेत्र में मौजूद नेपाली श्रमिकों की मदद ली थी।

ओली की तमाम कोशिश के बाद भी भारत-नेपाल के बीच मजबूत रोटी-बेटी के संबंधों में कोई कमी नहीं आई। इसे जनगणना ने भी प्रमाणित किया है। अभी विदेश में रहने वाले नेपाली नागरिकों की संख्या 1,37,407 है। इनमें अकेले भारत में 1,32,781 रहते हैं। चीन में रहने वालों की संख्या मात्र 1,882 है। इसके अतिरिक्त सार्क देशों में 580 नेपाली नागरिक बस चुके हैं।

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