देहरादून:  आइएफएस विनोद कुमार सिंघल को 16वें दिन फिर से वन विभाग के मुखिया की कमान मिल गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में शासन ने सिंघल को विभाग प्रमुख का कार्यभार सौंपने के आदेश जारी कर दिए। बुधवार को सिंघल ने कार्यभार ग्रहण भी कर लिया।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद चार अप्रैल को विभाग प्रमुख के पद पर बहाल हुए आइएफएस राजीव भरतरी के पास अब उत्तराखंड राज्य जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष का दायित्व है। दिलचस्प ये कि दोनों ही अधिकारी 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। वन विभाग के मुखिया (हेड आफ फारेस्ट फोर्स) पद को लेकर चल रही खींचतान लंबे समय से सुर्खियों में है।

शासन ने पूर्व में विभाग प्रमुख राजीव भरतरी का स्थानांतरण उत्तराखंड राज्य विविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद पर कर दिया था। भरतरी के स्थान पर आइएफएस विनोद कुमार सिंघल को विभाग प्रमुख बनाया गया। भरतरी ने स्थानांतरण आदेश को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में चुनौती दी। 24 फरवरी को निर्णय उनके पक्ष में आया। इसके बाद शासन ने भरतरी को आरोपपत्र भी जारी कर दिया था।

उधर, यह मामला हाईकोर्ट में भी चल रहा था। अदालत ने तीन अपै्रल को आदेश पारित किए कि चार अप्रैल को अवकाश के बावजूद भरतरी को विभाग प्रमुख का चार्ज दिया जाए। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन के क्रम में शासन ने चार अप्रैल को भरतरी को वन विभाग के मुखिया का कार्यभार सौंप दिया था। इस बीच सिंघल ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में शासन ने सिंघल को विभाग प्रमुख का कार्यभार सौंपने के आदेश जारी कर दिए। बुधवार को सिंघल ने भरतरी से कार्यभार ग्रहण किया। उधर, आइएफएस भरतरी के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के कयास भी लगाए जा रहे थे, लेकिन फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं बन रही। कारण ये कि शासन ने उन्हें चार्जशीट दी हुई है, जिसका उन्हें जवाब देना है।

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