देहरादून: विद्यालयी शिक्षा इस सत्र में 42 सौ से अधिक शिक्षक स्थानांतरित किए गए हैं। मंगलवार को 22 प्रधानाचार्यों के स्थानांतरण की सूची भी शासन ने जारी की। स्थानांतरित शिक्षकों में 2247 माध्यमिक शिक्षकों के अलावा दो हजार से अधिक प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक शामिल हैं। बड़ी संख्या में हुए तबादलों से ज्यादातर शिक्षक संतुष्ट दिखे, लेकिन दुर्गम से दुर्गम, गंभीर रोग ग्रस्त श्रेणी में हुए तबादले, सबमिट और एससीईआरटी में पिक एंड चूज फार्मूला अपनाए जाने पर कई शिक्षकों ने नाराजगी है।

आरोप है कि शासन स्तर पर गंभीर रोग ग्रस्त श्रेणी में ऐसे शिक्षकों का तबादला कर दिया गया, जो वास्तव में गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। एक महिला शिक्षक की एक ही किडनी है, लेकिन उसका तबादला कर दिया गया, जबकि स्वास्थ्य दिखने वाले और ऊंची पहुंच रखने वाले दून में स्थित शिक्षक का तबादला नहीं हुआ। हालांकि, शिक्षकों ने गंभीर बीमार श्रेणी में तबादला रोकने का अनुरोध किया था। इस पर शिक्षक नेताओं ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट भी डाली है।

प्रवक्ताओं का बड़ी संख्या में ऐसे समय में तबादले हुए हैं जब कुछ दिन बाद ही राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव होने हैं। छह एवं सात जुलाई को अल्मोड़ा में राजकीय शिक्षक संघ का अधिवेशन के बाद चुनाव होंगे। ऐसे में तबादलों को लेकर चर्चा होना स्वाभाविक है।

एससीईआरटी में ऐसे शिक्षकों का तबादला नहीं हुआ जो तबादला सूचित में पहले व दूसरे स्थान पर रखे गए थे। जबकि कुछ शिक्षकों के स्थानांतरण में तबादला अधिनियम 2017 की धारा 13 (3) का पालन नहीं किया गया। जबकि संबंधित शिक्षकों ने इस नियम का अपने दस्तावेजों में विस्तार से रिपोर्ट दी थी।

कुमाऊं मंडल से एलटी के 750 तबादले हुए हैं। गढ़वाल मंडल से 779 एलटी तबादलों पर मुहर लगी। प्रदेश संवर्ग से 718 प्रवक्ताओं का तबादला भी विभिन्न श्रेणियों में किया गया। माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी ने बताया कि तबादलों की लिस्ट विभाग की वेबसाइट पर अपलोड की गई है।

शिक्षकों के तबादले में अन्य श्रेणियों में तो लगभग नियमों का पालन किया गया, लेकिन गंभीर बीमार से ग्रस्त श्रेणी में चुन-चुनकर स्थानांतरण किए गए। इस श्रेणी में बीमारी की गंभीरता को नहीं देखा गया, यह गलत है। गंभीर बीमारी को लेकर होने वाला तबादला नियम में जो परिवर्तन किया गया उसका कुछ शिक्षक गलत लाभ ले रहे हैं, जबकि वास्तविक गंभीर बीमार शिक्षकों का तबादला कर दिया गया है। शासन चाहेगा तो इसमें दोनों प्रकार के मामलों के नाम का उल्लेख कर सकते हैं।
राम सिंह चौहान, पूर्व अध्यक्ष राजकीय शिक्षक संघ

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