देहरादून : इस रक्षाबंधन पर चीड़ की पिरूल की रंग-बिरंगी राखियां भी कलाई पर सजेगी। पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ ही अब स्वरोजगार को लेकर जनपद उत्तरकाशी में विभिन्न महिला समूह की 50 से अधिक महिलाएं राखी बना रही हैं। राखी बनाने के लिए पिरूल का उपयोग किया जा रहा है। इन राखियों को लेकर बाजार काफी मांग भी बढ़ी है।

ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना के जरिये बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। अभी तक महिलाएं 1.50 लाख रुपये की राखी बेच चुके हैं। जनपद के पुरोला, नौगांव और डुंडा में महिलाएं चीड़ के पिरूल से खास तरह की सुंदर राखी तैयार कर रही हैं। ये महिलाएं अपने चौका-चूल्हा, खेत खलियान का कार्य निपटाने के साथ एक दिन में पांच सौ से अधिक राखियां तैयार कर रही हैं।

रामा व कमल सिरांई पट्टी में तीन स्वयंसेवी संस्थाएं डोडेश्वर महादेव, जागमाता महिला समूह एवं स्वयं सहायता समूह एवं संसाधन समिति पिरूल से विभिन्न प्रकार के टोकरियां, शोपीस सूप एवं झालर आदि तैयार कर देहरादून आदि विभिन्न स्थानों पर आयोजित मेलों में पहुंचाएं। इन महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर स्वरोजगार की दिशा में प्रयास किया है। पिछले कुछ दिनों इस इन महिलाओं ने पिरुल से राखियां तैयार करनी शुरू की।

डाडेश्वर महादेव व जागमाता महिला समूह पुरोला की महिलाओं की ओर से तैयार पिरूल से तैयार रंग-बिरंगी राखियों का स्टॉल देहरादून परेड ग्राउंड में भी लगा हुआ है। जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निरीक्षण किया तथा खूब सराह। महिला स्वयं सहायता समूह एवं संसाधन समिति की लक्ष्मी बिजल्वान ने कहा कि पुरोला में उनके संगठन ने एक हजार से अधिक राखी बेच दी हैं।

एक राखी की कीमत 35 रुपये है। जिला प्रशासन की ओर से 250 राखियों की डिमांड की गई। 350 राखियां की डिमांड देहरादून भेजी गई हैं। स्थानीय बाजार में भी राखी को बेचने के लिए सरकारी स्तर से भी प्रयास किए जा रहे हैं। ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना उत्तरकाशी के सहयोग से प्रत्येक ब्लाक मुख्यालय पर स्टॉल लगाए गए हैं।

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