उत्तरकाशी : उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए टीम और तकनीक के साथ आस्था का भी सहारा लिया जा रहा है। क्षेत्र के ग्रामीणों के दबाव पर अब कंपनी प्रबंधन ने सुरंग के बाहर बौखनाग देवता का मंदिर स्थापित किया है।

पहले इस मंदिर को हटाकर सुरंग के अंदर कोने में स्थापित किया गया था। यहां बचाव अभियान में इस्तेमाल के लिए आ रही हर मशीन को चलाने से पहले पूजा की जा रही है। मंगलवार को भी पूजा-पाठ की गई।

बाबा बौखनाग देवता के पाश्वा गणेश प्रसाद का कहना है कि देवता सुरंग के अंदर फंसे सभी लोगों को सुरक्षित रखेंगे। सभी जल्द बाहर आ जाएंगे। उन्होंने शासन-प्रशासन से सुरंग के निकट बाबा बौखनाग देवता का भव्य व विशाल मंदिर बनाए जाने की मांग की।

बाबा बौखनाथ सिलक्यारा सहित क्षेत्र की तीन पट्टियों के ईष्ट देव हैं। यह नागराज का मंदिर है। यहां बाबा बौखनाग की ही पूजा-अर्चना की जाती है। बौखनाग देवता को इलाके का रक्षक माना जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि जहां सिलक्यारा सुरंग का निर्माण किया गया है।

बाबा बौखनाथ सिलक्यारा सहित क्षेत्र की तीन पट्टियों के ईष्ट देव हैं। यह नागराज का मंदिर है। यहां बाबा बौखनाग की ही पूजा-अर्चना की जाती है। बौखनाग देवता को इलाके का रक्षक माना जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि जहां सिलक्यारा सुरंग का निर्माण किया गया है।

उसके निकट देवता का मंदिर बनाए जाने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में निर्माण में लगी कंपनी ने मंदिर नहीं बनाया। ग्रामीणों का मानना है कि देवता की नाराजगी के कारण ही यह हादसा हुआ है।

उन्होंने सभी की सुरक्षा के लिए सुरंग के निकट का स्थान बाबा बौखनाग के मंदिर निर्माण के लिए छोड़ने की मांग की। पश्वा गणेश प्रसाद ने बताया कि देवता ने उन पर अवतरित होकर अंदर फंसे सभी श्रमिकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है। ग्रामीण राजेश सिलवाल ने कहा कि यहां बाबा बौखनाग की बहुत मान्यता है। यहां मंगसीर माह में बाबा का विशाल मेला भी लगता है।

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