देहरादून: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले भगवान श्रीराम के बाल रूप नूतन विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से देवभूमि भी जुड़ गई है। उत्तराखंड की 28 नदियों के जल से रामलला का जलाभिषेक होने जा रहा है, तो यहां के पहाड़ों की जड़ी-बूटियों से निर्मित हवन सामग्री से हवन यज्ञ में होगा।

यही नहीं, देवभूमि की बदरी गाय के घी का उपयोग हवन यज्ञ में तो होगा ही, इससे रामलला के मंदिर के दीये भी दैदीप्यमान होंगे। इसके लिए उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों से बदरी गाय का दो क्विंटल घी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र भेजा गया है। औषधीय गुणों से भरपूर बदरी गाय के घी को अत्यधिक ओज बढ़ाने वाला माना जाता है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर समूची देवभूमि में वातावरण पूरी तरह राममय हो चुका है।

इसके साथ ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह से उत्तराखंड को भी जोड़ा गया है। विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री अजेय बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर समेत अन्य पर्वतीय जिलों से बदरी गाय का दो क्विंटल घी एकत्रित कर अयोध्या भेजा गया है। प्राण प्रतिष्ठा, हवन-यज्ञ में बदरी गाय के घी का विशेष महात्म्य है। उन्होंने बताया कि इस घी से ही रामलला के मंदिर के दीपक भी प्रकाशमान होंगे।

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