देहरादून: इस समय जिस तरह देश मे कोरोना चरम सीमा पर है, उसी तरह उत्तराखंड में बेरोजगारी अब अपने चरम पर है। राज्य में बेरोजगार युवाओं की बड़ी संख्या है। युवाओं के पास इतनी सारी डिग्रीयां होने के बाबजूद भी वो दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं। आखिर क्यों…? इसमें युवाओं का दोष है या फिर सरकार का..?

 

युवा सरकारी नौकरी पाने के लिए सालों मेहनत करते है, लेकिन सरकारी भर्ती नहीं होने के कारण बेरोजगारी अपने चरम पर पहुंच गई है। जिससे युवाओं में उदासीनता और आक्रोश का माहौल है। युवाओं में सरकार के प्रति यह नाराजगी और गुस्सा देशभर में भी है, क्योंकि युवाओं रोजगार की किल्लत से अवसाद और जुर्म की तरफ अग्रसर है।

बता दें कि राज्य में लंबे समय से कोई भर्ती नहीं आई है और तीन साल से अटकी वन रक्षक की परीक्षा में गड़बड़ियों से तो हर युवा परिचित है। इसलिए रोजगार देने और भर्तियों में पारदर्शिता लाने के लिए उत्तराखंड बेरोजगार संघ लगातार सोशल मीडिया में सरकार के खिलाफ विरोध अभियान चला रहा है। बेरोजगार संघ ने ऐलान किया है कि सरकार के खिलाफ कल यानी 5 सितंबर को राज्यभर में बड़ा प्रदर्शन करेंगे।

बेरोजगार संघ के ऐलान के अनुसार राज्य में कल शाम 5 बजे सभी युवाओं द्वारा 5 मिनट तक थाली बजाकर सोई सरकार को जगाने का काम किया जाएगा। महासंघ का कहना है राज्य में युवा वर्ग बेरोजगारी की मार झेल रहा है। जिसके भयावह परिणाम मानसिक तनाव और मौत के साथ ही ख़त्म हो रहे है। ये प्रत्यक्ष देखा गया है, इसलिए सरकार को जगाना जरूरी है।

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