देहरादून: अगर दिल में चाह और इरादे मजबूत हो तो कठिन से कठिन मंजिल भी आसान हो जाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया ‘अर्चित’ ने। लेकिन अगर उत्तराखंड पुलिस उसका साथ नहीं देती तो शायद ही वो इस मुकाम को हासिल करने के बारे में न सोच पता।

कोरोना काल में उत्तराखंड पुलिस दोहरी भूमिका निभा रही है। एक कोरोना योद्धा के रूप में दूसरा समाजसेवक के रूप में। इस बार उत्तराखण्ड पुलिस ने नशे की लत के शिकार एक ऐसे युवक, जिससे उसके परिजनों एवं रिश्तेदारों ने किनारा कर लिया था, उसका हाथ थामकर उसे समाज की मुख्य धारा से जोड़कर उसमें जीवन जीने की ललक पैदा की। नतीजा यह रहा कि कोरोना काल में उसने पुलिस का सहयोग कर जरूरतमंदों की मदद की और खुद नशा छोड़कर युवाओं को नशे के प्रति जागरूक भी किया।

दरअसल, यह मामला देहरादून का है, अर्चित नाम का एक युवक अपनी मौसी के घर रहता था और कुछ समय से वह स्मैक के नशे का आदी हो गया था। नशे के लिए पैसे नहीं मिले तो जिस मौसी ने उसे शरण दी थी उन्हीं के घर चोरी कर डाली। पुलिस ने इस केस की जांच की तो अदालत से उसे एक साल कैद की सजा सुनाई थी।

इसी बीच कोरोना महामारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के करीब 700 कैदियों को पैरोल पर छोड़ दिया था। इन 700 अपराधियों में से एक अर्चित भी था। वह पैरोल पर तो छूट गया लेकिन उसके परिजनों ने उसे घर में घुसने नहीं दिया क्योंकि वह चोरी करने की वजह से जेल पहुंचा था।  परेशान होकर अर्चित ने देहरादून के रायपुर थाने पहुंचकर मदद की गुहार लगाई।उसकी कहानी सुनकर पुलिसकर्मियों ने थाना परिसर में ही उसके रहने का इंतजाम कर दिया। तबसे वह थाने में पुलिस की मदद के लिए छोटे-मोटे काम कर देता है।उसके अच्छे बर्ताव के चलते पुलिसकर्मी भी उसकी हर मदद करने को तत्पर हैं और चाहते हैं कि वह ढंग से पढ़कर बड़ा वकील बने।

अच्छे बर्ताव की वजह से उसकी बाकी 3 माह 8 दिन  की सजा माफ कर दी गई है। रायपुर के एसएचओ अमरजीत रावत का कहना है कि युवक शुरू से यहां अच्छे काम कर रहा था जिसकी वजह से उसकी सजा माफ हुई है।वह कहते हैं कि युवक की पढ़ाई से लेकर उसे कामयाब बनाने में पुलिस पूरी मदद करेगी। उनका यह भी कहना है कि इसी सत्र में अर्चित का एडमिशम कराया जाएगा।

वही अर्चित की इस कार्यप्रणाली एवं अच्छे व्यवहार के कारण 27 जुलाई को महामहिम राज्यपाल उत्तराखण्ड ने अर्चित की 3 माह 8 दिन की सजा माफ कर समय पूर्व रिहाई के आदेश पारित किए। अर्चित इसका श्रेय पुलिसकर्मियों को देता है और अब वकालत करना चाहता है, जिसमें पुलिसकर्मी उसकी पूरी मदद कर रहे हैं।

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