नौ नवंबर को इतिहास में उत्तराखंड के स्थापना दिवस के तौर पर दर्ज हैं। पृथक उत्तराखंड की मांग को लेकर कई वर्षों तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार 9 नवंबर 2000 को उत्तराखण्ड को सत्ताइसवें राज्य के रूप में भारत गणराज्य के शामिल किया गया। वही राज्य की माँग सर्वप्रथम 1897 में उठी और धीरे-धीरे यह माँग अनेक समयों पर उठती रही। 1994 में इस माँग ने जन आन्दोलन का रूप ले लिया और आखिरकार नियत तिथि पर यह भारत का सत्ताइसवाँ राज्य बना।
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वही उत्तराखंड राज्य के बनने से पहले की वो हिंंसक घटनाए जो अन्ततःउत्तराखण्ड राज्य के रूप में परिणीत हुई…
खटीमा गोलीकाण्ड
1 सितंबर, 1994 को उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन का काला दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन की जैसी पुलिस बर्बरता की कार्यवाही इससे पहले कहीं और देखने को नहीं मिली थी। पुलिस द्वारा बिना चेतावनी दिये ही आन्दोलनकारियों के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग की गई, जिसके परिणामस्वरूप सात आन्दोलनकारियों की मृत्यु हो गई।
शहीदो के नाम…
- अमर शहीद स्व. भगवान सिंह सिरौला, ग्राम श्रीपुर बिछुवा, खटीमा।
- अमर शहीद स्व. प्रताप सिंह, खटीमा।
- अमर शहीद स्व. सलीम अहमद, खटीमा।
- अमर शहीद स्व. गोपीचन्द, ग्राम-रतनपुर फुलैया, खटीमा।
- अमर शहीद स्व. धर्मानन्द भट्ट, ग्राम-अमरकलां, खटीमा
- अमर शहीद स्व. परमजीत सिंह, राजीवनगर, खटीमा।
- अमर शहीद स्व. रामपाल, निवासी-बरेली।
- अमर शहीद स्व.भगवान सिंह सिरोला।
- इस पुलिस फायरिंग में बिचपुरी निवासी बहादुर सिंह, श्रीपुर बिछुवा के पूरन चन्द्र भी गंभीर रुप से घायल हुये थे।
मसूरी गोलीकाण्ड…
2 सितंबर, 1994 को खटीमा गोलीकाण्ड के विरोध में मौन जुलूस निकाल रहे लोगों पर एक बार फिर पुलिसिया कहर टूटा। प्रशासन से बातचीत करने गई दो सगी बहनों को पुलिस ने झूलाघर स्थित आन्दोलनकारियों के कार्यालय में गोली मार दी। इसका विरोध करने पर पुलिस द्वारा अंधाधुंध फायरिंग कर दी गई, जिसमें कई लोगों को (लगभग 21) गोली लगी और इसमें से तीन आन्दोलनकारियों की अस्पताल में मृत्यु हो गई।
मसूरी गोलीकाण्ड में शहीद लोग…
- अमर शहीद स्व. बेलमती चौहान (48), पत्नी धर्म सिंह चौहान, ग्राम-खलोन, पट्टी घाट, अकोदया, टिहरी।
- अमर शहीद स्व. हंसा धनई (45), पत्नी भगवान सिंह धनई, ग्राम-बंगधार, पट्टी धारमंडल, टिहरी।
- अमर शहीद स्व. बलबीर सिंह (22), पुत्र भगवान सिंह नेगी, लक्ष्मी मिष्ठान्न, लाइब्रेरी, मसूरी।
- अमर शहीद स्व. धनपत सिंह (50), ग्राम-गंगवाड़ा, पट्टी-गंगवाड़स्यू, गढ़वाल।
- अमर शहीद स्व. मदन मोहन ममगई (48), नागजली, कुलड़ी, मसूरी।
- अमर शहीद स्व. राय सिंह बंगारी (54), ग्राम तोडेरा, पट्टी-पूर्वी भरदार, टिहरी।
मुजफ्फरनगर गोलीकाण्ड / रामपुर तिराहा काण्ड…
2 अक्टूबर, 1994 की रात्रि को दिल्ली रैली में जा रहे आन्दोलनकारियों का रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर में पुलिस-प्रशासन ने जैसा दमन किया, उसका उदारहण किसी भी लोकतान्त्रिक देश तो क्या किसी तानाशाह ने भी आज तक दुनिया में नहीं दिया कि निहत्थे आन्दोलनकारियों को रात के अन्धेरे में चारों ओर से घेरकर गोलियां बरसाई गई और पहाड़ की सीधी-सादी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार तक किया गया। इस गोलीकाण्ड में राज्य के 7 आन्दोलनकारी शहीद हो गये थे। इस गोली काण्ड के दोषी आठ पुलिसवालों पर जिनमे तीन इंस्पै़क्टर भी हैं, पर मामला चलाया जा रहा है।
शहीदों के नाम…
- अमर शहीद स्व. सूर्यप्रकाश थपलियाल (20), पुत्र चिंतामणि थपलियाल, चौदहबीघा, मुनि की रेती, ऋषिकेश।
- अमर शहीद स्व. राजेश लखेड़ा (24), पुत्र दर्शन सिंह लखेड़ा, अजबपुर कलां, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. रविन्द्र सिंह रावत (22), पुत्र कुंदन सिंह रावत, बी-20, नेहरु कालोनी, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. राजेश नेगी (20), पुत्र महावीर सिंह नेगी, भानिया वाला, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. सतेन्द्र चौहान (16), पुत्र जोध सिंह चौहान, ग्राम हरिपुर, सेलाकुईं, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. गिरीश भद्री (21), पुत्र वाचस्पति भद्री, अजबपुर खुर्द, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. अशोक कुमारे कैशिव, पुत्र शिव प्रसाद, मंदिर मार्ग, उखीमठ, रुद्रप्रयाग।
देहरादून गोलीकाण्ड
3 अक्टूबर, 1994 को मुजफ्फरनगर काण्ड की सूचना देहरादून में पहुंचते ही लोगों का उग्र होना स्वाभाविक था। इसी बीच इस काण्ड में शहीद स्व० रविन्द्र सिंह रावत की शवयात्रा पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद स्थिति और उग्र हो गई और लोगों ने पूरे देहरादून में इसके विरोध में प्रदर्शन किया, जिसमें पहले से ही जनाक्रोश को किसी भी हालत में दबाने के लिये तैयार पुलिस ने फायरिंग कर दी, जिसने तीन और लोगों को इस आन्दोलन में शहीद कर दिया।
शहीदो के नाम…
- अमर शहीद स्व. बलवन्त सिंह सजवाण (49), पुत्र भगवान सिंह, ग्राम-मल्हान, नयागांव, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. राजेश रावत (19), पुत्र आनंदी देवी, 27-चंदर रोड, नई बस्ती, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. दीपक वालिया (27), पुत्र ओम प्रकाश वालिया, ग्राम बद्रीपुर, देहरादून।
कोटद्वार काण्ड…
3 अक्टूबर, 1994 को पूरा उत्तराखण्ड मुजफ्फरनगर काण्ड के विरोध में उबला हुआ था और पुलिस-प्रशासन इनके किसी भी प्रकार से दमन के लिये तैयार था। इसी कड़ी में कोटद्वार में भी आन्दोलन हुआ, जिसमें दो आन्दोलनकारियों को पुलिस कर्मियों द्वारा राइफल के बटों व डण्डों से पीट-पीटकर मार डाला।
कोटद्वार में शहीद आन्दोलनकारी…
- अमर शहीद स्व. राकेश देवरानी।
- अमर शहीद स्व. पृथ्वी सिंह बिष्ट, मानपुर, कोटद्वार।
नैनीताल गोलीकाण्ड…
नैनीताल में भी विरोध चरम पर था, लेकिन इसका नेतृत्व बुद्धिजीवियों के हाथ में होने के कारण पुलिस कुछ कर नहीं पाई, लेकिन इसकी भड़ास उन्होंने निकाली प्रशान्त होटल में काम करने वाले प्रताप सिंह के ऊपर। आर.ए.एफ. के सिपाहियों ने इसे होटल से खींचा और जब यह बचने के लिये मेघदूत होटल की तरफ भागा, तो इनकी गर्दन में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
शहीदो के नाम…
- अमर शहीद स्व. प्रताप सिंह।
श्रीयंत्र टापू (श्रीनगर) काण्ड…
श्रीनगर कस्बे से 2 किमी दूर स्थित श्रीयन्त्र टापू पर आन्दोलनकारियों ने 7 नवंबर, 1994 से इन सभी दमनकारी घटनाओं के विरोध और पृथक् उत्तराखण्ड राज्य हेतु आमरण अनशन आरम्भ किया। 10 नवंबर, 1994 को पुलिस ने इस टापू में पहुँचकर अपना कहर बरपाया, जिसमें कई लोगों को गम्भीर चोटें भी आई, इसी क्रम में पुलिस ने दो युवकों को राइफलों के बट और लाठी-डण्डों से मारकर अलकनन्दा नदी में फेंक दिया और उनके ऊपर पत्थरों की बरसात कर दी, जिससे इन दोनों की मृत्यु हो गई।
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श्रीयन्त्र टापू के शहीद…
- अमर शहीद स्व. राजेश रावत।
- अमर शहीद स्व. यशोधर बेंजवाल।
- इन दोनों शहीदों के शव 14 नवंबर, 1994 को बागवान के समीप अलकनन्दा में तैरते हुये पाये गये थे।