धनतेरस का पर्व कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है। दिवाली से पहले आने वाले इस पर्व में भगवान धनवंतरी, कुबैर की पूजा की जाती है। इस दिन यम दीप भी रात को जलाया जाता है। यह एक शुभ दिन माना जाता है। सोना, चांदी के आभूषण और बर्तन आदि चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। इस साल धनतेरस 13 नवम्बर यानी शुक्रवार को है।

धनतेरस का पूजा मुहूर्त…

इस साल धनतेरस 13 नवम्बर को है और पूजा के लिए शाम का समय उपयुक्त माना गया है। शाम 5 बजकर 28 मिनट से लेकर 5 बजकर 59 मिनट के बीच पूजा का शुभ मुहूर्त है। इन 30 मिनट के समय को धनतेरस की पूजा के लिए अच्छा समय माना गया है। भगवान धनवंतरि की पूजा इस समयकाल के दौरान की जा सकती है।

धनवंतरि और कुबेर की पूजा…

भगवान विष्णु का ही रुप हैं धनवंतरि भगवान। धनवंतरि भगवान अपने हाथ में अमृत का कलश धारण किए होते हैं। ऐसी मान्यता है कि धनवंतरि भगवान को पीतल पसंद है। इसलिए धनतेरस के दिन पीतल के धातु जरूर खरीदनें चाहिए। धनतेरस के दिन धनवंतरि भगवान के साथ-साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है।

धनतेरस का महत्व…

कहते हैं कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। यह भी मान्यता है कि चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के लिए भगवान धनवंतरि ने अवतार लिया था। धनवंतरि को भारत सरकार का आयुष मंत्रालय राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाता है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक़ धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन करने से धन-धान्य की कमी नहीं होती और लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा भी इस दिन घर में लानी चाहिए। धनतेरस के दिन संध्याकाल में दीपक जलाने की भी प्रथा है। इसे यम दीपक कहते हैं जो यमराज के लिए जलाया जाता है जिससे अकाल मृत्यु को टाला जा सके।

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