उत्तरकाशी: भारी बर्फबारी के बीच भैयादूज के पावन पर्व पर विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट सोमवार को विधिविधान से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। शीतकाल में छह माह तक मां यमुना अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में विराजमान होंगी, जहां देश विदेश से आने वाले तीर्थ यात्री शीतकाल में मां यमुना के दर्शन कर सकेंगे।

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सोमवार को भैया दूज पर सुबह करीब साढ़े आठ बजे खरसाली से मां यमुना के भाई सोमेश्वर देवता (शनि महाराज) की डोली यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुई।
तय मुहूर्त पर दोपहर 12:15 बजे मां यमुना की उत्सव मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह से बाहर निकालकर डोली में विराजमान किया गया और विधि विधान के साथ यमुनोत्री मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए। भारी बर्फबारी के बीच मां यमुना की डोली यात्रा यमुनोत्री से छह किमी की दूरी पर स्थित खरसाली गांव के लिए रवाना हुई। खरसाली पहुंचकर मां यमुना की उत्सव मूर्ति को यमुना मंदिर में स्थापित किया गया।

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यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को फूलों से सजाया गया था। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष यमुनोत्री धाम में आठ हजार श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे। यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के साथ ही आज प्रात: केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गए, जबकि गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर को अन्नकूट के अवसर पर बंद हुए। बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को सायंकाल 03 बजकर 35 मिनट पर शीतकाल हेतु बंद होंगे।

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