चमोली: कार्तिक शुक्ल पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र बृहस्पतिवार 3 बजकर 35 मिनट पर भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकालीन के लिये बंद हो चुके हैं।

इस अवसर पर पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किये। कपाट बंद होने के मौके पर मंदिर को भब्यरूप से फूलो से सजाया गया था दानी दाताओं ने भंडारे भी आयोजित किये। सारे बदरीनाथ धाम में अभी बर्फ जमी हुई है तथा मौसम सर्द बना है। सेना की बैंड की सुमधुर लहरियों के बीच तीर्थ यात्रियों ने जय बद्री विशाल के उदघोष किये।

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आज ब्रह्म मुहुर्त में प्रात:4.30 बजे मंदिर खुला पूजा संपन्न हुई। नित्य भोग के पश्चात 12.30 बजे शांयकालीन आरती शुरू हुई इसके पश्चात मां लक्ष्मी पूजन शुरू हुआ और अपराह्न 1 बजे शयन आरती संपन्न हो गयी। इसके पश्चात रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा द्वारा कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की गयी। माणा ग्राम से महिला मंगल द्वारा बुना गया घृत कंबल भगवान बद्रीविशाल को ओढ़ाया गया।

लक्ष्मी माता के मंदिर में आगमन होते ही श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी सभा मंडप होते मंदिर प्रांगण में पहुंचे। इसी के साथ विभिन्न धार्मिक रस्मों का निर्वहन करते हुए अपराह्न ठीक 3 बजकर 35 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये।

आयुक्त गढ़वाल /उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने बताया कि इस यात्रा वर्ष एक लाख पैंतालीस हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किये तथा तीन लाख दस हजार यात्री चार धाम पहुंचे है। इसमें 134981 तीर्थ यात्री केदारनाथ पहुंचे, 23837 श्रद्धालु गंगोत्री धाम एवं 7731 श्रद्धालु यमुनोत्री धाम दर्शन को पहुंचे। तथा देवस्थानम बोर्ड द्वारा चार धाम हेतु साढ़े तीन लाख ई पास जारी किये।

वही कल प्रात: 9.30 बजे श्री उद्धव जी श्री कुबेर जी आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी सहित योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचेगे। श्री उद्वव जी एवं श्री कुबेर जी शीतकाल में योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में निवास करते है जबकि 21 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी सहित धर्माधिकारी वेदपाठी गण तथा देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगे।

इसी के साथ श्री योगध्यान बदरी पांडुकेश्वर एवं श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में परंपरागत रूप से शीतकालीन पूजाएं चलती रहेंगी। श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा का समापन हो गया है। श्री गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर,श्री यमुनोत्री एवं केदारनाथ धाम के कपाट 16 नवंबर को बंद हो चुके है।
जबकि तृतीय केदार श्री तुंगनाथ जी के कपाट 4 नवंबर, रूद्रनाथ जी के 17 अक्टूबर, श्री भविष्य बदरी मंदिर के कपाट भी आज अपराह्न 3.35 बजे बंद हो गये।

द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट आज 19 नवंबर को प्रात: बंद हुए है। जबकि सिक्खों के पवित्र गुरू द्वारा श्री हेमकुंड साहिब तथा श्री लक्ष्मण मंदिर लोकपाल तीर्थ के कपाट 10 अक्टूबर को शीतकाल हेतु बंद किये जा चुके है। वहीं सभी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फवारी भी देर-सवेर जारी है।

 

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