देहरादून : उत्तराखंड राज्य बने 20 साल पूरे हो गए है औऱ 21वा साल चल रहा है। नये राज्य के मांग को लेकर उत्तराखंड के लोगों ने संघर्ष किया तो वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा दिया गया। ऐसे में प्रदेश के सबसे पहले 09 नवंबर सन 2000 को नित्यानंद स्वामी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने। नित्यानंद स्वामी अपना कार्यकाल 29 नवंबर सन 2001 तक ही पूरा कर पाये। वह केवल एक साल भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री नहीं रह पाए। इसके बाद 30 अक्टूबर 2001 भगत सिंह कोश्यारी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया। भगत सिंह कोश्यारी का कार्यकाल केवल 122 दिन का ही रहा। दरअसल यह अंतरिम विधानसभा थी।

भगत सिंह कोश्यारी के बाद कांग्रेस से नारायण दत्‍त तिवारी ने 2 मार्च 2002 मुख्यमंत्री पद का पदाभार संभाला जो 8 मार्च 2007 तक चला यानि कांग्रेसी दिग्‍गज नारायण दत्‍त तिवारी जो अब तक उत्‍तराखंड में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र मुख्‍यमंत्री बने।

वह उत्‍तराखंड के सबसे सफलतम मुख्‍यमंत्री साबित हुए। फिर सत्ता परिवर्तन हुआ तो भाजपा से भुवन चंद खंं‍डूरी ने 8 मार्च 2007 के मुख्यमंत्री का पदा संभाला लेकिन इस बीच भाजपा में भूचाल आया और 23 जून 2009 आलाकमान ने उनकी सेवा समाप्त करते हुए रमेश पोखरियाल निशंक को कमान सांैप दी। निशंक ने 10 सितम्‍बर 2011 पद संभाला।

लेकिन फिर भाजपा में अंदरूनी कलह हुई तो भाजपा ने भुवन चंद खंण्‍डूरी फिर से राज्य की कमान दे दी। जिसके बाद खंडूरी ने 13 मार्च 2012 पद संभाला।

इसके बाद हुए वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरकार बनाई। ऐसे में राज्य की कमान विजय बहुगुणा के हाथ आयी। बहुगुणा को 13 मार्च 2012 पद पर बैठाया गया लेकिन इस दौरान कांग्रेस में बंवडर मच गया तो उन्हें 31 जनवरी 2014 पद छोडऩा पड़ा। ऐसे में वरिष्ठ नेता हरीश रावत को कांग्रेस आलाकमान ने 1 फरवरी 2014 को गद़दी पर बैठाया लेकिन कलह जारी रही तो 27 मार्च 2016 तक रहे फिर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। कई विधायकों ने बगावत कर दी। फिर हरीश रावत 21 अप्रैल 2016 को केवल एक दिन के लिए पद संभाला। सियासी भूचाल चरम पर था तो प्रदेश में 22 अप्रैल 2016 से 11 मई 2016 तक राष्ट्रपति शासन लग गया। इसके बाद बहुमत साबित कर हरीश रावत ने दोबारा वापसी की और 11 मई 2016 को गद्दी संभाली जो 18 मार्च 2017 चली। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा ने मैदान मार लिया। मुख्यमंत्री पद के लिए कई दौड़ में आ गये तो 18 मार्च 2017 को भाजपा आलाकमान ने त्रि‍वेंद्र सिंह रावत को गद्दी पर बैठाया लेकिन इस बीच अंदखाने सुगबुगाहट होती रही है। पहले तीन साल पूरा होने पर त्रिवेन्द्र को बदले जाने की चर्चाएं जोरों पर आयी लेकिन फिर मैनेज हो गया। इसके बाद चार साल पूरे होने से पहले भाजपा में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आयी तो भाजपा आलाकमान ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से इस्तीफा मांग लिया।

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