देहरादून :खेल को बढ़ाने के लिए सरकारें भले मंचों से बड़े-बड़े दावे करती हो और जो खिलाड़ी अपनी काबिलियत की बदौलत देश और प्रदेश का नाम ऊंचा कर मेडल भी जीत का लाती हो पर लेकिन खेल को लेकर सरकार की नीतियां किस प्रकार से हैं और सरकार प्रदेश के खिलाड़ियों पर किस कदर ध्यान देती है इसकी बानगी हम आपको बताते हैं।
प्रदेश सरकार की अनदेखी के चलते खेलों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर में पदक विजेता खिलाड़ियों की स्थिति बेहद खराब है। स्थिति यह है कि खिलाड़ी खेलों में पदक जीतकर कई उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद सड़कों पर नमकीन और बिस्कुट बेचने को मजबूर है। जी हां, पहली महिला इंटरनेशनल पैरा शूटर शूटर दिलराज कौर गांधी पार्क के समीप नमकीन की बेचने को मजबूर है। ताकि परिवार का भरण पोषण कर सके।

प्रदेश सरकार की ठोस नीति न होने से खिलाड़ी आर्थिक संकट से जूझ रहे है। दिलराज कौर ने सरकार से उनकी उपलब्धियों और शैक्षिक योग्यता के आधार पर स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी देने की मांग कर रही है। देहरादून के गोविंदगढ की रहने वाली दिलराज कौर, अंतराष्ट्रीय पैरालंपिक शूटर है। उन्होंने दो दर्जन से अधिक गोल्ड मेडल जीते है। शूटिंग में पदक जीतने के बावजूद शूटर दिलराज कौर की सरकार ने कोई सुध नहीं ली है। शूटिंग में उन्होंने कई उपलब्धिया उनके नाम है।

लेकिन वर्तमान समय मे शूटर दिलराज कौर किराए की मकान में अपनी माता गुरबीत कौर के साथ रहती है। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह गांधी पार्क के समीप नमकीन बेच रही है। सोमवार को दिलराज कौर और उसकी मां ने गांधी पार्क में नमकीन बेचने का काम किया। दिलराज कौर ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है। प्रदेश सरकार उनकी सुध तक नहीं ले रही है। कई बार नौकरी के लिए आवेदन करने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल पाई। आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने से नमकीन बेचकर पेट पालने को मजबूर है।

उन्होंने सरकार से मजबूर से उनकी उपलब्धियों और शैक्षिक योग्यता को देखते हुए स्पोर्ट्स कोटे से उन्हें नौकरी देने की मांग की है। बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय पैरा महिला शूटर दिलराज ने 2005 में 29वीं नॉर्थ जोन शूटिंग चैंपियनशिप में ब्रांज, चतुर्थ उत्तराखंड स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता। वहीं केरल में हुई 15वीं ऑल इंडिया जीवी मावलेंकर शूटिंग चैंपियनशिप में चौथी रैंक हासिल की। हैदराबाद में 49वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और प्रथम इंटरनेशनल महिला शूटर बनी। साल 2004 में तृतीय उत्तरांचल स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड, कोयम्बटूर में 14वीं ऑल इंडिया जीवीएम शूटिंग चैंपियनशिप में 12 रैंक हासिल कर प्रथम महिला पैरा शूटर ऑफ इंडिया बनी।

अब देखना होगा कि क्या सरकार इन खिलाड़ियों के ऊपर कब ध्यान देगी और कई खिलाड़ी प्रदेश में ऐसे होंगे जो इनकी तरह अपने पेट पालने के लिए आज पाई पाई के मोहताज होंगे

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