देहरादून:  रात 12 बजे से ऊर्जा विभाग के लगभग 3500 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए है। पिछले 20 जुलाई को 1 दिन की सांकेतिक कार्य बहिष्कार के बाद ऊर्जा विभाग के कर्मचारियों ने 27 तारीख से बेमियादी हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद भी विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।आज आनन-फानन में सचिव ऊर्जा और मुख्य सचिव से कई दौर की बातचीत हुई लेकिन इस बातचीत का कोई नतीजा निकल नहीं निकल पाया। सरकार और कर्मचारी संघ में सहमति नहीं बन पाने की वजह से ऊर्जा कर्मियो ने बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि ऊर्जा विभाग के तीनों निगमों यूपीसीएल, यूजेवीएनएल व पिटकुल में कार्यरत सभी कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हैं। इनकी मांग है कि नियमित/संविदा/पेंशनरों की ACP की पूर्ववर्ती व्यवस्था 9-14-19, पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिले। यह आंदोलन में संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण व समान वेतन की मांग सहित 14 सूत्रीय मांगों पर निगम प्रबंधन एवं उत्तराखंड शासन द्वारा कोई भी सकारात्मक कार्रवाई ना किए जाने के विरोध में किया गया है। आंदोलन में तीनों निगमों में कार्यरत नियमित अधकारियों, कर्मचारियों, संविदा कर्मचारी व पेंशनर शामिल हैं।

इधर लगभग ऊर्जा विभाग 3500 कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की खबर से ही सरकार के हाथ में फुले हुए हैं। बिजली अति आवश्यक सेवा में आता है, ऐसे में अगर ये कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो पावर प्रोजेक्ट तथा बिजली के सुचारू बहाली पर नकारात्मक असर पड़ना तय है।

वहीं राज्य के जनता भी ऊर्जा विभाग के बेमियादी हड़ताल पर जाने की खबर से डरे हुए हैं। कई स्कूल में बच्चों की ऑनलाइन परीक्षा हो रही है और पेरेंट्स को इस बात का डर सता रहा है कि अगर कल बिजली चली गई तो बच्चे ऑनलाइन परीक्षा कैसे देंगे?
कर्मचारियों का आरोप है कि शासन में अधिकारियों का रवैया बहुत खराब रहा मीटिंग में सहमति जताने के बाद मिनट्स में बार बार परिवर्तन करने से बिगड़ी बात। अधिकारियों की नीति और नीयत साफ नहीं।

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