देहरादून: अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर ऊर्जा निगम कर्मचारियों ने रात 12 बजे से हड़ताल कर दी थी, जिसके चलते आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऊर्जा मंत्री और एमडी दीपक रावत की कर्मचारी नेताओं से वार्ता भी हुई।

हड़ताल पर गए ऊर्जा निगम कर्मचारियों को लेकर सरकार सख्त कदम उठाए हैं। सरकार ने उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 (उत्तराखण्ड राज्य में यथा प्रवृत्त) (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 30 सन् 1966) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन शक्ति का प्रयोग कर अगले 6 माह के लिए हड़ताल को प्रतिबंधित कर दिया है।

सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार यूजेवीएन लिमिटेड, उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लिमिटेड और पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लिमिटेड में समस्त श्रेणी की सेवाओं में तत्कालिक प्रभाव से हडताल निषिद्ध कर दी है। अधिनियम की धारा-3 की उपधारा (2) के अधीन यह भी आदेश देते हैं कि यह आदेश गजट में प्रकाशित किया जायेगा।

ऊर्जा कर्मियों की मंत्री हरक सिंह से वार्ता रही सफल…

वही दूसरी ओर अपनी 14 सूत्री मांगों को लेकर ऊर्जा निगम के संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने रात 12:00 बजे से हड़ताल शुरू कर दी थी।
जिसके बाद प्रदेश में बिजली की व्यवस्था चरमरा गई थी।
ऐसे में ऊर्जा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने कमान सभाली
ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत और संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों के बीच करीब एक घंटे की वार्ता सकारात्मक रही।
बैठक के बाद संयुक्त संघर्ष मोर्चा से जुड़े पदाधिकारियों ने कहा कि हड़ताल को हमने वापस ले लिया है। बैठक में निर्णय लिया गया कि अगले एक महीने के भीतर संयुक्त संघर्ष मोर्चा की मांगों को पूरा कर लिया जाएगा। बैठक के दौरान मोर्चा के सम्मुख ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने इस बात को रखा है कि हाल ही में उन्हें ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी मिली है। ऊर्जा निगम को एमडी और सचिव भी हाल ही में मिले है। लिहाजा विभाग को समझने का थोड़ा समय मिलना जरूरी है बाकी ऊर्जा मंत्री में अपने अनुभव का लाभ लेते हुए ऊर्जा विभाग की हड़ताल को समाप्त करा दिया है।

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