लखीमपुर खीरी में हुए बवाल में 8 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 4 प्रदर्शनकारी किसान हैं जबकि दो बीजेपी समर्थक, एक ड्राइवर और एक पत्रकार शामिल हैं। इन 8 लोगों के बारे में अब तक जो जानकारी आई है, वो हम आपको बताते हैं।

1. रमन कश्यप
33 साल के रतन कश्यप स्थानीय न्यूज चैनल में पत्रकार थे। निघासन थाना क्षेत्र के रहने वाले थे। परिवार में पिता, पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। परिजनों ने बताया कि रमन घटनास्थल पर कवरेज के लिए गए हुए थे। परिजनों का आरोप है कि उनके हाथ में पहले गोली लगी और फिर किसानों के साथ उन्हें भी गाड़ी से कुचल दिया गया। दोपहर करीब 3 बजे के बाद परिवार का रमन से कोई संपर्क नहीं हो सका। दिन भर परिवार के लोग इधर-उधर भटकते रहे. रात में मोर्चरी में परिजनों ने शव की शिनाख्त की। परिवार का दावा है कि रमन की मौत केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की गाड़ी से कुचलकर हुई है। अब परिजन मुआवजा और पत्नी की नौकरी की मांग को लेकर सोमवार को निघासन चौराहे पर धरने पर बैठा है।

2. गुरविंदर सिंह
गुरविंदर सिंह बहराइच जिले के मोहरनिया गांव के रहने वाले थे। घटना के समय वह प्रदर्शनकारियों के साथ मौजूद थे। गुरविंदर की मौत कैसे हुई, इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है। 22 साल के गुरविंदर उर्फ ज्ञानी सिंह काफी समय से तिकोनिया स्थित कौड़ियाला गुरुद्वारा साहब में सेवा कर रहे थे। कौड़ियाला साहब गुरुद्वारे के पास ही गुरविंदर आश्रम बनाकर रहने भी लगे थे। गुरविंदर का परिवार भी किसानी पर आश्रित है। पिता सुखविंदर सिंह को निहंग सिंह की उपाधि प्राप्त है। वह भी विभिन्न गुरुद्वारों के आध्यात्मिक कार्यों में शामिल रहते हैं। इस समय बहराइच के नबी नगर मटेरा स्थित गुरविंदर सिंह के मकान पर उनकी मां रहती हैं।
3. दलजीत सिंह
दलजीत सिंह बहराइच के नानपारा इलाके के बंजारन टांडा गांव के रहने वाले थे. उनके परिवार में एक बेटा व एक बेटी है। दलजीत का परिवार किसानी पर आश्रित है। दलजीत इससे पहले दिल्ली बार्डर पर हो रहे आंदोलन में भी शामिल रहे हैं। दलजीत के 15 वर्षीय बेटे ने बताया कि वह अपने पिता के साथ रविवार को तिकोनिया में आंदोलन में शामिल होने के लिए गया था। उसके मुताबिक, नानपारा से 20-30 लोग मोटरसाइकिल से आंदोलन में शामिल होने गए थे। जब किसान वहां थे, उसी दौरान तीन गाड़ियां आईं और उसके पिता समेत कई किसानों को कुचल दिया। बेटे ने दावा किया कि उसके सामने ही पिता की मौत हुई।
4. लवप्रीत सिंह
20 साल के लवप्रीत सिंह चौखड़ा फार्म मझगई के रहने वाले थे। वह तिकोनिया में प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ थे। किसान संगठनों का दावा है कि लवप्रीत की मौत भी गाड़ी की टक्कर से लगी चोट की वजह से हुई है।
5. छत्तर सिंह
छत्तर सिंह के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
6. हरिओम मिश्र
हरिओम केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के ड्राइवर थे। हरिओम चार बहनों के इकलौते भाई थे। अजय मिश्र टेनी ने आरोप लगाया है कि किसानों के पथराव में हरिओम को चोट लगी और गाड़ी पलट गई। उसके बाद किसानों ने हरिओम को पीट-पीट कर मार डाला।

7. शुभम मिश्र
शुभम बीजेपी कार्यकर्ता थे. लखीमपुर के गढ़ी गांव के बूथ अध्यक्ष थे। उनकी दो साल पहले ही शादी हुई थी. उनके 6 महीने की एक बेटी है. अजय मिश्रा टेनी ने शुभम की हत्या का आरोप भी प्रदर्शनकारी किसानों पर लगाया है।
8. श्याम सुंदर
श्याम सुंदर लखीमपुर के सिंघावा गांव के रहने वाले थे। वह भी बीजेपी कार्यकर्ता थे। केंद्रीय मंत्री की तरफ से श्याम सुंदर की मौत का जिम्मेदार भी किसानों को ही बताया गया है।
क्या हुआ था तिकोनिया में?
3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकोनिया इलाके में डिप्टी सीएम केशव मौर्य का प्रोग्राम होना था। तभी किसान वहां काले झंडे दिखाने पहुंच गए। किसानों का आरोप है कि लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष उर्फ मोनू मिश्रा ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को गाड़ियों से रौंद दिया। इससे गुस्साए किसानों ने तीन गाड़ियों में आग लगा दी. इस पूरे मामले में 8 लोगों की मौत हो गई। जबकि आशीष मिश्र का कहना है कि वह मौके पर मौजूद ही नहीं थे. किसानों ने उनके समर्थकों की गाड़ी पर हमला किया और उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। फिलहाल पुलिस ने मोनू मिश्रा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। साथ ही 13 अन्य लोगों के खिलाफ बलवा और साजिश रचने का मामला भी दर्ज हुआ है।