देहरादून: कुछ दिन पहले नाराज बताए गए उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के घर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नाश्ते पर जाना उनको मनाना काफी चर्चा में रहा
इस बीच दूसरे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत द्वारा आर्य की नाराजगी की बात अमित शाह तक पहुंचाना भी चर्चा में रहा लेकिन यह बात सामने नहीं आ पाई यशपाल आर्य किस काम के लिए नाराज थे
जो बात सामने निकल कर आ रही है वह हैरतअंगेज है यशपाल आर्य ने समाज कल्याण विभाग के ऐसे महा भ्रष्ट अधिकारी को बड़ी पोजीशन पर तैनात करवाया है। जो घोटालों के कारण देहरादून की सुद्दोवाला जेल कर काट का आ चुका है।
ऐसे अधिकारी को महत्वपूर्ण जगहों पर बैठाने की बात सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि यशपाल आर्य की नाराजगी क्या थी
महा भ्रष्ट गीताराम नौटियाल को सचिवालय में जो तैनाती दी गई है। उसके बारे में यह भी बताया जा रहा है कि उसे जिम्मेदारी दी गई है कि वह भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के कॉलेजों में करोड़ों रुपए के छात्रवृत्ति घोटाले पर न सिर्फ पर्दा डालेगा बल्कि उन्हें हमेशा क्लीन चिट देने का भी ठेका दिया गया है।

उत्तराखंड का सबसे चर्चित मामला छात्रवृत्ति घोटाले के मुख्य मास्टरमाइंड रहे गीताराम नौटियाल को उत्तराखंड सरकार ने फिर से शासन में नियुक्ति दे दी है।

अभी कुछ दिन पहले मंत्री यतीश्वरानंद ने ने पहले विभाग के अफसर आर के सेठ को भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड किया और फिर जांच पूरी हुए बगैर उन्हें प्रमोट करके सितारगंज चीनी मिल का महाप्रबंधक बना दिया गया इससे सरकार की खूब किरकिरी हुई लेकिन फैसला वापस नहीं हुआ।

वहीं दूसरी ओर शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने इससे भी बढ़कर कारनामा किया रुड़की नगर निगम में सहायक नगर आयुक्त चंद्रकांत भट्ट को गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में हटा कर निदेशालय से अटैच कर दिया गया लेकिन महीने भर तक ज्वाइन नहीं करने और कोई सूचना भी नहीं देने के चलते भट्ट को सस्पेंड कर दिया गया था लेकिन विगत दिवस अचानक भट्ट की फाइल दौड़ी और उन्हें बहाल करके उसी निगम में उसी पद पर पोस्टिंग दे दी जहां उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे जिनकी जांच अभी विचाराधीन थी।

और अब ताजा मामला उत्तराखंड में हुए छात्रवृत्ति घोटाले के मास्टरमाइंड समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक रहे गीताराम नौटियाल को अब मंत्री यशपाल आर्य ने सचिवालय में अटैच करवाया है।

बता दें कि उत्तराखंड में साल 2010 से लेकर 2016 तक समाज कल्याण विभाग से एससीएसटी छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति (दशमोत्तर) में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया था। खुले हाथों से छात्रवृत्ति अपात्र लोगों को बांटी गई थी। इस फर्जीवाड़े में उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों के भी कई शिक्षण संस्थान शामिल थे।

सात सौ करोड़ रुपये से के ज़्यादा के इस घोटाले की जांच दो एसआईटी कर रही थी। जिसमे समाज कल्याण विभाग के छह बडे अफसरों समेत छह दर्जन से अधिक लोगों को गिरप्तार किया था, जिनमें से एक गीताराम नौटियाल भी हैं। इस घोटाले में उत्तराखंड के अलावा अन्य प्रदेशों के भी कई शिक्षण संस्थानों पर केस दर्ज हुआ था।

समाज कल्याण विभाग के इस घोटाले को सामने लाने का श्रेय बीजेपी नेता और राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान और आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट चंद्रशेखर करगेती को जाता है। दोनों ही लोगों ने इस घोटाले केा लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर की थी जिसके बाद पन्द्रह करोड वापस सरकारी खजाने मे आये
अर्थात इन चोरों को जब रंगे हाथ पकड़ा गया और पुलिस ने डंडे बजाएं तो इन्होंने चोरी की हुई सामग्री वापस कर दी देखना है कि उत्तराखंड की जीरो टॉलरेंस वाली या सरकार और कितने महा भ्रष्टों को इसी प्रकार की तैनाती देती है और यहां के मंत्री तब तक इसी प्रकार मुंह फुला कर अपने कामों को अंजाम देते हैं

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