देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के पहले दो आम चुनाव लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के नाम रहे। माना जाता है कि उनके गीतों ‘नौछमी नारेण’ और ‘अब कथगा खैल्यू’ से दोनों बार जनमत प्रभावित हुआ। हालांकि विगत कुछ चुनावों में नेगी का नया गीत नहीं आया लेकिन अब 2022 के चुनाव से ठीक पहले युवा गढ़वाली गायकों रोहित चौहान और राज टाइगर की जोड़ी का ‘पटवारी’ गीत बेरोजगारी की समस्या को लोकप्रिय माध्यम से हवा दे गया है।

दोनों कलाकारों ने गीत के माध्यम से बेरोजगारों की जिंदगी में आने वाली मुश्किलों, समूह ग की भर्ती तैयारी और फिर विवादों के चलते कई साल तक भर्ती प्रक्रिया लटकने पर तंज कसा है। जिसे युवा खासा पसंद कर रहे हैं। रोहित चौहान जानी मानी गायिका कल्पना चौहान के बेटे हैं, जबकि राज टाइगर भी गढ़वाली डीजी गीतों में खासा नाम कमा चुके हैं। दो नवंबर को जारी इस वीडियो को बुधवार शाम तीन बजे तक चार लाख 95 हजार व्यूज मिल चुके हैं।
सात सौ से अधिक युवा इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए, इसे उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों की हकीकत करार दे चुके हैं। गीत पर मिली प्रतिक्रिया से खुश राज टाइगर ने बताया कि उन्हें बेरोजगार फोन करके बधाई दे रहे हैं। हर किसी को लगता है कि जैसे हमने उनकी पीड़ा लिख डाली है। इतने कम समय में पांच लाख दर्शकों तक पहुंचने वाला यह उनका पहला गीत है। रोहित चौहान के मुताबिक उन्होंने इस गीत को हल्के फुल्के अंदाज में ही तैयार किया था, लेकिन लेकिन गीत वास्तव में युवाओं की पीड़ा को छू गया है।

गीत में दो दोस्त अपनी प्रेमिका को इस वायदे के साथ शादी का इंतजार करने को कह रह हे हैं कि अब ‘समूह ग’ की भर्ती आ गई है, वो पटवारी बनने ही वाला है। इस बीच गीत आवेदन, तैयारी, फिजिकल की प्रक्रिया की बयां करता है, लेकिन अंत में एक खबर युवाओं का दिल तोड़ जाती है कि पटवारी भर्ती फिर अटक गई है। इस बीच उनकी प्रेमिका की शादी फौजी के साथ हो जाती है। गीत का अंत रोचक अंदाज में फिल्म ‘धड़कन’ में सुनील शेट्टी के चर्चित अंजलि, अंजलि…डायलॉग के साथ होता है।

पटवारी डीजी सॉंग के लेखक -निर्देशक उत्तरकाशी भटवाड़ी ब्लॉक के राज टाइगर बताते हैं कि वो 60 फीसदी दिव्यांग है। उन्होंने दिव्यांग कोटे से सहकारी विभाग में नौकरी के लिए आवेदन किया था, वो इंटरव्यू प्रक्रिया तक भी पहुंचे लेकिन नौकरी नहीं मिली। अब वो बीएड करने के साथ ही गीत संगीत के क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं। इसी तरह जीवन के अनुभवों के आधार पर उन्होंने पटवारी गीत लिख डाला।

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