किच्छा: एसओजी ने पुलभट्टा पुलिस के सहयोग से कछुओं की तस्करी का बड़ा खुलासा किया है। पुलिस ने 190 कछुओं के साथ दो तस्करों को पकड़कर उनकी कार को सीज कर दिया है। बरामद कछुओं को वन विभाग के सुपुर्द कर दिया गया है। उन्‍हें जलशयों में छोड़ा जाएगा। सभी कछुए गंगा मृदु शल्‍क प्रजाति के हैं। तस्‍करों के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा रही है।

एसओजी प्रभारी कमलेश भट्ट एसआई देवेन्द्र सिंह मेहता, का. भूपेन्द्र सिंह, प्रभात चौधरी, राजेन्द्र कश्यप, नीरज शुक्ला, ललित कुमार के साथ मध्य रात्रि मुखबिर ने कछुओं की तस्करी की बड़ी खेप उत्तर प्रदेश बरेली के रास्ते उत्तराखंड में आने की सूचना थी। जिस पर 1:30 बजे डॉली रेंज के अन्तरराजजीय सीमा चौकी बन विभाग पुलभट्टा के पास नाका लगाकर बहेड़ी की ओर से आने वाले वाहनों की चेकिंग करने लगे।

इसी दौरान कार नंबर यूके 06 डब्ल्यू 5777 के चालक ने पुलिस की चेकिंग देखकर वाहन को पीछे मोड़ कर वापस जाने का प्रयास किया। पुलिसकर्मी पहले से ही सतर्क थे उन्होंने घेराबंदी कर कार सवार दो लोगों को दबोच लिया। पकड़े गए तस्करों ने अपना नाम प्रहलाद मण्डल पुत्र स्व. प्रताप मण्डल निवासी मोतीपुर नंबर एक दिनेशपुर व विष्णु डे पुत्र निमाई डे निवासी सी ब्लाक थाना ट्रांजिट कैंप बताया।

पुलिस ने प्रहलाद मण्डल के पास एक मोबाइल फोन व पांच हजार रुपये नकद तथा विष्णु डे के पास मोबाईल व दो सौ रुपये नकद बरामद किए। कार की तालाशी में एक इलेक्ट्रानिक कांटे के साथ ही तीन कुल तीन बोरों में भरे 190 कछुए बरामद कर लिए। पूछताछ में प्रहलाद मण्डल द्वारा उक्त कछुओं को एक लाख रुपये में करहैल इटावा से खरीद करलाने की बात कहीं है। पुलिस की सूचना पर वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई। बरामद कछुओं को वन विभाग की टीम के सुपुर्द कर दिया गया।

अमूमन कछुओं का इस्‍तेमाल उनका मांस खाने में किया जाता है। जबकि चीन इनके शरीर के कुछ हिस्‍सों का इसतेमाल शक्तिवर्द्धक समेत अन्‍य प्रकार की दवाइयां बनाने में भी करता है। वहीं नेपाल और चीन में जादू-टोने में भी इनका इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है कि इन दोनों देशों में कछुओं की काफी मांग रहती है।

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