अल्मोड़ा: सलाखों के पीछे से रंगदारी मांगने के मामले से दागदार हुई उत्तराखंड की अल्मोड़ा जिला जेल अब नशे के कारोबार को लेकर चर्चित है। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने जेल के अंदर से नशा कारोबार संचालित होने का खुलासा किया है। एसटीएफ ने मंगलवार को स्थानीय पुलिस के साथ जेल में छापा मारकर एक मोबाइल फोन, ईयरफोन, एक सिम और 24 हजार रुपये की नकदी बरामद की।

कुछ दिन पहले एसटीएफ को जेल से नशा कारोबार संचालित होने की सूचना मिली। सूचना पर मंगलवार को सीओ एसटीएफ पूर्णिमा गर्ग और एसटीएफ कुमाऊं प्रभारी एमपी सिंह ने अपनी टीम और जिला पुलिस के साथ जेल में छापा मारा। छापे के दौरान टीम को जेल में दो कैदियों के पास से एक मोबाइल फोन और 24 हजार रुपये की नकदी बरामद हुई।

देहरादून की एक जेल में भी एसटीएफ ने छापा मारा, जहां से एसटीएफ को करीब डेढ़ किलो चरस बरामद हुई। अल्मोड़ा जिला जेल में भी एसटीएफ और पुलिस के हाथ जेल से चरस तस्करी का नेटवर्क संचालित करने के साक्ष्य लगे। साक्ष्यों के आधार पर एसटीएफ, पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है। मालूम हो कि एसटीएफ और अल्मोड़ा पुलिस ने चार अक्तूबर को जिला जेल में छापा मारा था। तब टीम को जेल की बैरक नंबर सात से तीन मोबाइल फोन, चार सिम कार्ड, डेढ़ लाख रुपये की नकदी और चरस बरामद हुई थी। मोबाइल की मदद से बैरक नंबर सात में बंद कैदी कलीम जेल से ही लोगों से रंगदारी मांग रहा था। जांच के बाद जेल के प्रभारी अधीक्षक समेत चार लोग निलंबित हुए थे।

 

पहला मामला नहीं है। इससे पहले अक्तूबर में हुए रंगदारी कांड के खुलासे में भी जेल से तीन मोबाइल बरामद हुए थे। इन्हें रंगदारी कांड का मुख्य आरोपी कलीम और उसका साथी महिपाल इस्तेमाल करता था। करीब दस माह पहले पूर्व महिपाल के लिए हरिद्वार से जेल में मोबाइल भेजा गया था। महिपाल के भाई बंटी ने जेल के फार्मासिस्ट अंकुर के हाथ उसके लिए मोबाइल भेजा था।

जेल में लगातार हो रही आपराधिक वारदातों को रोकने के लिए जेलों को आधुनिक बनाने की जरूरत है। कुछ समय पूर्व जेलों में जैमर लगाने का प्रस्ताव शासन के पास गया था लेकिन अब तक इसमें कुछ नहीं हो पाया। जैमर लगने से जेलों में कैदी फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकते। साथ ही जेलों में कैंटीन खोलने की भी जरूरत है ताकि कैदियों को बाहर का खाना न दिया जा सके।

 

पर अंकुश लग सकता है। जेलों में बंदी रक्षकों की भी कमी है। हालांकि प्रदेश स्तर पर जेल प्रशासन जल्द ही कुमाऊं में तीन अत्याधुनिक जेलों के तैयार होने का दावा कर रहा है। इसमें ऊधमसिंह नगर, चंपावत और पिथौरागढ़ जिला शामिल है। अगर ऐसा होता है तो जेल की गतिविधियों पर आसानी से नजर रखी जा सकती है।

डेढ़ माह पहले अल्मोड़ा जिला जेल में रंगदारी कांड का खुलासा होने के बाद यह जेल पूरे प्रदेश में चर्चा में आई थी। जेल प्रशासन के उच्च अधिकारियों को भी उम्मीद थी कि इसके बाद स्थानीय जेल प्रशासन पूरी तरह से सचेत रहेगा और जेल में किसी तरह की आपराधिक वारदात नहीं होगी, लेकिन अल्मोड़ा जिला जेल में फिर से मामला पकड़ में आने के बाद अल्मोड़ा जेल प्रशासन ने साबित कर दिया है कि यहां की जेल कैदियों को सजा देने और सुधारने के लिए नहीं बल्कि उन्हें संरक्षण देने के लिए हैं। यहां आकर कैदी आराम से अपनी उन आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे सकें जिन्हें वह बाहर रहकर नहीं दे सकते। इसी का नतीजा है कि जेल में एक के बाद

 

जेल के अंदर से नारकोटिक्स का कारोबार होने की शिकायत पर पौड़ी, कोटद्वार, बड़ोंवाला, देहरादून, ऋषिकेश, बरेली, शाहजहांपुर, अल्मोड़ा जेल में एक साथ छापा मारा गया। अल्मोड़ा जिला जेल से दो कैदियों के पास से एक मोबाइल फोन, एक एयर फोन, एक सिम और 24 हजार की नकदी बरामद हुई। दोनों कैदियों की योजना नशा कारोबार का एक बड़ा नेटवर्क जेल से खड़ा करने की थी।

– अजय सिंह, एसएसपी एसटीएफ, देहरादून।

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