काशीपुर : ऊधमसिंह नगर जिले की कई सीटों पर भाजपा में असंतोष सामने आ रहा है। रुद्रपुर में भाजपा विधायक ने पार्टी प्रत्याशी को सीधी चुनौती दी है तो काशीपुर में भाजपाइयों ने मौन साध रखा है। काशीपुर में पार्टी प्रत्याशी के एक बयान मुझे तो सेंट्रल लीडरशिप ने टिकट दिया से भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी अंदरखाने और भी बढ़ रही है। यही वजह है कि सांसद अजय भट्ट की कवायद भी अब तक तो बे-असर ही दिख रही है।
2002 में काशीपुर सीट भाजपा-अकाली दल गठबंधन के तहत अकाली नेता हरभजन सिंह चीमा के हिस्से आई थी। इसके बाद 2007, 2012 और फिर 2017 में इसी गठबंधन के तहत भाजपा टिकट चीमा के नाम होता रहा और अन्य दावेदार जिंदाबाद के नारे ही लगाते रहे। किसान आंदोलन के दौरान केंद्र में यह गठबंधन टूट गया। इसके बाद भाजपा नेताओं को लगा कि इस बार टिकट पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता को ही मिलेगा। लेकिन भाजपा ने इस बार विधायक चीमा के पुत्र त्रिलोक को टिकट थमा दिया।इसके बाद से भी भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में रोष है। ये लोग सामूहिक इस्तीफे भेजकर विऱोध भी जता चुके हैं।

इधर, चीमा की ओर से अब यह कहा जा रहा है कि उन्हें तो भाजपा की सेंट्रल लीडरशिप ने टिकट दिया है। इससे जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराजगी बढ़ी है। इनका कहना कि 2004 के लोकसभा चुनाव में नैनीताल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी रहे विजय बंसल भी यही राग अलाप रहे थे कि उन्हें तो अटलजी ने टिकट दिया है। नतीजा यह रहा कि बंसल को हार का सामना करना पड़ा था।

भाजपा नेताओं को चीमा के पक्ष में मनाने की सांसद अजय भट्ट की कोशिशें भी कारगर होती नहीं दिख रही हैं। सांसद ने यह दावा जरूर किया था कि मेयर ऊषा चौधरी और पीसीयू अध्यक्ष राम मेहरोत्रा से बात हो गई और वे चीमा के लिए दिल से काम करेंगे। सांसद के इस दावे को दो रोज हो चुके हैं। लेकिन न तो राम की कृपा बरसना शुरू हुई है और न ही ऊषा की किरन भाजपा प्रत्याशी को चमका रही है।

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