नैनीताल: हाईकोर्ट ने हरिद्वार गंगा नदी में खनन के खिलाफ दायर जनहित याचिका करते हुए रायवाला से भोगपुर के बीच हो रहे खनन पर रोक लगा दी है। साथ ही नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा को भी पक्षकर बनाकर राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेस करने को कहा है।

सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी हरिद्वार की तरफ से शपथपत्र पेस किया गया। जिसमें कहा गया कि गंगा नदी में खनन कार्य हो रहा है ,परन्तु सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई दिशा निर्देश जारी नही किए जबकि एनएमसी ने 16 फरवरी 2022 को फिर से राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि गंगा नदी में खनन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जाय।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हरिद्वार मातृ सदन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि हरिद्वार गंगा नदी में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है , जिससे गंगा नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। गंगा नदी में खनन करने वाले नेशनल मिशन क्लीन गंगा को पलीता लगा रहे है।

 

जनहित याचिका में प्रार्थना की है कि गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाई जाए ताकि गंगा नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके। अब खनन कुंभ क्षेत्र में भी किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने गंगा नदी को बचाने के लिए एनएमसी बोर्ड गठित किया है। जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा को साफ करना व उसके अस्तित्व को बचाए रखना है।

 

एनएमसी ने राज्य सरकार को बार बार आदेश दिए गए कि यहां खनन कार्य नही किया जाय। उसके बाद में सरकार ने यहां खनन कार्य करवाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी भारत सरकार को निर्देश दिए थे कि गंगा को बचाने के लिए क्या क्या कदम उठाए जा रहे। उसके बाद भी सरकार द्वारा गंगा के अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है।

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