देहरादून: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के लिए रिकॉर्ड पांचवीं बार सीट खाली करवाई गई है। संयोग यह है कि यह पांचवे विधानसभा चुनाव के बाद हो रहा है पुष्कर सिंह धामी के खटीमा में कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी से बुरी तरह हारने के बाद जब उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया तो उसी दिन से कयास लगाए जा रहे थे कि आखिरकार पुष्कर सिंह धामी किस सुरक्षित सीट से अपना भविष्य तलाशयेंगे ।
आज चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने इस्तीफा भी दे दिया और हाथों हाथ उनका इस्तीफा स्वीकार हो गया
पुष्कर सिंह धामी से पहले 2002 में नारायण दत्त तिवारी के लिए रामनगर के तत्कालीन विधायक योगंबर सिंह रावत ने सीट छोड़ी थी उसके बाद जनरल भुवन चंद खंडूरी के लिए दल बदल कर आए टीपीएस रावत ने सीट छोड़ी।
2012 में विजय बहुगुणा के लिए भाजपा छोड़कर आए किरण मंडल ने सीट छोड़ी 2014 में हरीश रावत के लिए धारचूला के कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने सीट छोड़ी हालांकि हरीश धामी इस बार पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट ऑफर कर चुके थे किंतु पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत से लड़ना ही बेहतर समझा
1) – एनडी तिवारी (रामनगर विधानसभा )
2) – भुवन चंद खंडूरी (धुमाकोट विधानसभा )
3) – विजय बहुगुणा (सितारगंज विधानसभा)
4) – हरीश रावत (धारचूला विधानसभा)
और अब
5) – पुष्कर सिंह धामी (चंपावत विधानसभा)
उत्तराखंड के इतिहास में लगातार इस प्रकार से मुख्यमंत्रियों के लिए उपचुनाव का रास्ता इस प्रदेश को कहां ले जाएगा और सीट छोड़ने वाले कैलाश गहतोड़ी का आने वाला कल क्या होगा इस पर सबकी निगाहें रहेंगी लेकिन इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस के हरीश धामी का हुआ जिन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भी विश्वास जीत लिया और अब हरीश रावत कह रहे हैं कि उनके जीते जी हरीश धामी कभी कांग्रेस नहीं छोड़ेगा पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ क्या हेमेश खर्कवाल ही चुनाव लड़ेंगे या कांग्रेस पार्टी कोई नया गांव चलाएगी भाजपा कांग्रेस के अलावा इस सीट पर जो भी लड़ेगा उसकी जमानत बचने की संभावना बहुत कम है।