देहरादून: परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर यूपी ने जो तेजी बातचीत में दिखाई थी, अब आदेश करने में उतनी ही हीलाहवाली की जा रही है। पिछले साल 28 नवंबर को लखनऊ में तय फैसलों के अनुसार के यूपी को दो महीने के भीतर सिंचाई विभाग के भवन, जमीन हस्तांतरण और जलाशय व नहरों में वाटर स्पोर्ट्स की अनुमति जारी करनी थी। आज पांच महीने बाद भी ये मामले जस के तस लटके हुए हैं।

यूपी के स्तर से हो रही हीलाहवाली पर राज्य के सिंचाई अफसरों ने सरकार को रिपोर्ट दे दी है। उनका कहना है कि यदि समय पर आदेश हो जाते तो उत्तराखंड नए प्रोजेक्ट शुरू कर सकता था। सिंचाई विभाग की परिसंपत्तियों के बंटवारे के विवाद को सुलझाने के लिए राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी की पहल पर यूपी के साथ पिछले साल उच्च स्तरीय बैठक हुई थी।

इसमें बिंदूवार तय किया गया था कि एक तय समय पर आदेश जारी किए जाएंगे। पर ऐसा हो नहीं रहा है। योगी के सामने रखेंगे महाराज उत्तराखंड का पक्ष: यूपी के अधिकारियों के रवैये की शिकायत यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से की जाएगी। राज्य के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार योगी आगामी तीन तारीख को उत्तराखंड आ रहे हैं। इन सब विषयों को उनके सामने प्रमुखता से रखा जाएगा। कोशिश की जाएगी कि जल्द से जल्द इन सभी विषयों पर आदेश जारी हो जाएं।

यूएसनगर, चंपावत, हरिद्वार में सिंचाई विभाग की सैकड़ों बीघा दोनों राज्यों के बीच विवादित है। 28 नवंबर 2021 को लखनऊ में हुई बैठक में  यूएसनगर, हरिद्वार, चंपावत की 379.385 हैक्टेयर के उत्तराखंड को देने पर सहमति बन गई थी। बाकी जमीनों के स्वामित्व के लिए दोनों राज्यों द्वारा संयुक्त सर्वेक्षण होना था। जमीन के साथ ही हरिद्वार, यूएसनगर, चंपावत के  348 भवनों का हस्तांतरण भी उत्तराखंड को होना था। अभी तक जमीन और भवनों का ही हस्तांतरण आदेश नहीं हो पाया है।

ऊधमसिंहनगर के नानकसागर में वाटर स्पोट्र्स पर सहमति बनी थी। धौरा और बैगुल जलाशय में भी वाटर स्पोर्टस की सशर्त अनुमति दी जानी थी। इसी प्रकार पुरानी ऊपरी गंगा नगर में भी वाटर स्पोर्टस की अनुमति यूपी ने दे नी थी। जो कि अब तक नहीं दीगई है।

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