देहरादून: हरिद्वार से आ रही एक कार पाटी से एक किमी पहले गहरी खाई में गिर गई। दुर्घटना में मां-बेटे और चालक की मौके पर ही मौत हो गई। सभी मृतक पाटी के लखनपुर लड़ा क्षेत्र के निवासी थे, जबकि एक महिला बुरी तरह घायल हो गई। जख्मी महिला को परिजन प्राथमिक इलाज के बाद बरेली के एक निजी अस्पताल में ले गए हैं।

अगर हादसे की अकेली घायल मंजू गहतोड़ी ने हिम्मत न दिखाई होती तो रात में हुई कार दुर्घटना का पता देर में चलता। कार के 400 मीटर खाई में गिरने से घायल मंजू भी अचेत हो गईं थीं। कुछ देर बाद उन्हें होश आया तो अंधेरे में मंजू खाई से सड़क तक पहुंची और फिर वह शॉर्टकट रास्ते से पैदल चलकर न्यू कॉलोनी पहुंची। वहां मंजू ने रात 11:30 बजे पड़ोसी गिरीश पचौली का दरवाजा खटखटाया।

रात में लहूलुहान मंजू को देख गिरीश सन्न रह गए। उन्होंने किसी तरह खुद को संभाला और तुरंत पुलिस और आपात सेवा को कॉल की। घायल मंजू को आपात सेवा 108 की एंबुलेंस से पाटी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। पचौली बताते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम से एक बार तो उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया।

उन्हें समझ नहीं आया कि क्या किया जाए लेकिन फिर वे संभले और उन्होंने पुलिस और आपात सेवा समेत आसपास के लोगों को फोन से सूचना दी। इसके बाद ग्रामीणों ने घटनास्थल पर जाकर बचाव कार्य किया। अगर हौसला दिखाते हुए मंजू पड़ोसी के घर तक न पहुंचती, तो दुर्घटना का पता चलने में देर हो गई होती। ग्रामीणों का कहना है कि जिस जगह कार खाई में गिरी है, सड़क से वह हिस्सा पेड़, पौधों से ढका हुआ है।

आपदा से निपटने के बड़े-बड़े दावों के बीच एक बार फिर संकट के समय व्यवस्था उम्मीद जगाने में नाकाम रही। रात के समय हुए इस हादसे ने दावों की पोल खोल दी। यहां तक कि राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) के पास भी उजाले की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। नाकाफी उजाले के कारण ग्रामीणों ने टॉर्च, इमरजेंसी लाइट, मोबाइल फोन की रोशनी से शवों को निकालने में मदद की।
शिक्षा विभाग में लिपिक प्रदीप गहतोड़ी के पिता बलदेव गहतोड़ी का निधन करीब दो दशक पहले हुआ था। इस बार किसी कारण वह अपने पिता का श्राद्ध निर्धारित तिथि पर नहीं कर पाए थे। इस कारण 11 मई को वे हरिद्वार में इस रस्म को पूरा करने के लिए गए थे। बृहस्पतिवार को कार्यक्रम पूरा करने के बाद हरिद्वार से लौटे तो रात को कार के खाई में गिरने से यह अनहोनी हो गई। प्रदीप गहतोड़ी ने हरियाणा के हिसार की निजी कंपनी में सेवारत इकलौते बेटे अंकुर का 22 अप्रैल को यज्ञोपवीत संस्कार भी कराया था।

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