केदारनाथ: केदारनाथ पैदल मार्ग में बीमार घोड़े-खच्चरों का संचालन करने के साथ ही अधिक भार ढोने वाले पशु स्वामियों के खिलाफ जिला प्रशासन तेजी से कार्रवाई कर रहा है। दो दिनों के भीतर चेकिंग के दौरान छह पशु पालकों के खिलाफ गौरीकुंड चौकी में एफआईआर दर्ज कर दी गई है। बता दें कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों का संचालन करने वाले हॉकर और स्वामी बीमार पशुओं में यात्रियों को ढो रहे हैं, जबकि भार से अधिक वजन वाले तीर्थयात्रियों को भी बिठा रहे हैं। रास्ते भर में पशुओं को दाना-चारा के साथ ही पानी तक नहीं पिला रहे हैं। ऐसे में घोड़े-खच्चरों की मौत हो रही हैं।

गौरीकुंड-केदारनाथ 18 किमी पैदल मार्ग पर हर दिन साढ़े चार हजार घोड़े-खच्चरों का संचालन हो रहा है। इनमें कई ऐसे संचालक भी हैं, जो बीमार पशुओं से यात्रियों का भार ढोने के लिए मजबूर कर रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से गठित टास्क फोर्स की टीम ऐसे संचालकों पर नजर बनाए हुए है और पशु क्रूरता अधिनियम में एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। दो दिनों में पैदल मार्ग पर छह पशुपालकों के विरूद्ध केस दर्ज हो चुका है।

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ राजीव गोयल और डॉ दीपमणि गुप्ता के नेतृत्व में विभागीय टीम ने गौरीकुंड से लिनचोली तक निरीक्षण किया। इस दौरान पशु संचालक उस्मान पुत्र नसीर निवासी नजीमाबाद, दिगपाल सिंह पुत्र गोरे सिंह निवासी चमोली, संजय प्रसाद पुत्र आनंद निवासी घाट चमोली और संजय लाल निवासी रुद्रप्रयाग को पशु के साथ क्रूरता बरतने का दोषी पाया गया। इन चारों द्वारा अपने अस्वस्थ्य घोड़ा-खच्चर से अधिक भार ढुलान किया जा रहा था। मौके पर ही टीम ने जानवरों को उपचार के लिए गौरीकुंड भेजा, जबकि आरोपियों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम में पुलिस चौकी गौरीकुंड में प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ पशु कुरता अधिनियम की धारा 11बी में मुकदमा दर्ज कर दिया है।

पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से गठित म्यूल्स मैनेजमेंट फोर्स द्वारा निरंतर घोड़ा-खच्चरों की निगरानी की जा रही है। आने वाले दिनों में चेकिंग और बढ़ाई जाएगी। दो दिनों में पशु क्रूरता के मामले में छह एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं।

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