देहरादून: उत्तराखंड में ओवरस्पीड के कारण हादसों और इनमे मरने वालों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। चिंताजनक बात यह है कि वर्ष 2021-22 में हुए हादसों में 77 फीसदी सड़क हादसे ओवरस्पीड के कारण हुए और कुल हादसों में मारे गए लोगों में 71 फीसदी की मौत ओवरस्पीड के कारण हुई।

प्रदेश में अधिकांश सड़कों की हालत सुधर गई है। ऐसे में ड्राइवर वाहनों की गति पर नियंत्रण नहीं रख रहे हैं। जिस कारण सड़क हादसे हो रहे हैं। वर्ष 2020-21 में प्रदेश में कुल 1041 हादसे हुए हैं, जिसमें 674 लोगों की मौत हुई है। इसमें ओवरस्पीड से 671 हादसे हुए हैं, जिसमें 430 लोगों की मौत हुई है। वर्ष 2021-22 में कुल 1405 हादसे हुए हैं, जिसमें 820 लोगों की मौत हुई है। इसमें 1079 यानि 77 फीसदी हादसे ओवरस्पीड की वजह से हुए हैं, जिसमें 582 लोगों की मौत हुई है।

देहरादून संभाग में इस बार अप्रैल और मई महीने में 7260 वाहनों के चालान हुए हैं। इसमें 1466 वाहनों के चालान ओवरस्पीड में हुए हैं। पिछले साल इसी अवधि में कुल 3013 वाहनों के चालान हुए थे, जिसमें सिर्फ 112 वाहनों के चालान ओवरस्पीड में हुए थे। पिछली बार चालान से 55 लाख रुपये की पेनाल्टी वसूल हुई थी, जबकि इस बार दो करोड़ दस लाख रुपये की पेनाल्टी वसूली गई है। सीज वाहनों की संख्या भी बढ़ी हैं।

देहरादून संभाग में ओवरस्पीड पर कार्रवाई के लिए परिवहन विभाग के पास तीन इंटरसेप्टर वाहन हैं। जबकि सभी दफ्तरों में एक-एक रडार गन भी हैं। ओवरस्पीड पर दो हजार रुपये का चालान किया जाता है। जबकि कम से कम तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस भी जब्त किया जाता है। इस अवधि में ड्राइवर वाहन नहीं चला सकता है।

देहरादून के आरटीओ (प्रवर्तन) सुनील शर्मा ने कहा, ‘सबसे ज्यादा हादसे ओवरस्पीड से हुए हैं। ओवरस्पीड पर लगाम लगाने के लिए चालान की कार्रवाई की जा रही है। दो महीने में हमने पिछले साल की अपेक्षा आठ गुना ज्यादा चालान किए हैं।’

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