देहरादून : Corbett Park Illegal Felling Case :कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के अंतर्गत पाखरो क्षेत्र में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों का अवैध कटान और निर्माण किए जाने के बहुचर्चित प्रकरण की जांच कर रही विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। रिपोर्ट में इस प्रकरण में कदम-कदम पर अनियमितता की बात सामने आई है।

इसको देखते हुए विजिलेंस ने कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ (अब सेवानिवृत्त) किशन चंद के अलावा भारतीय वन सेवा के तीन अधिकारियों व कुछ ठेकेदारों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की है। शासन से अनुमति मिलने के बाद आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाएगा। विजिलेंस ने अपनी जांच आठ महीने में पूरी की।

पाखरो में वन विभाग ने टाइगर सफारी के निर्माण का निर्णय लिया था। इसकी अनुमति मिलने के बाद पाखरो में 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी के लिए बाड़ों का निर्माण समेत अन्य कदम उठाए गए। इस बीच वर्ष 2019 में टाइगर सफारी के लिए अवैध तरीके से पेड़ काटने और बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की टीम ने स्थलीय निरीक्षण किया।

इसमें शिकायतों को सही पाते हुए एनटीसीए ने जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए। इस मामले में सबसे पहले पाखरो के वन क्षेत्राधिकारी को निलंबित किया गया। इसके बाद कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) किशन चंद और फिर तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग को निलंबित किया गया। वर्तमान में किशन चंद और जेएस सुहाग सेवानिवृत्त हो चुके हैं। साथ ही सीटीआर के निदेशक राहुल को वन मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया। इसके अलावा विभाग के तत्कालीन मुखिया राजीव भरतरी और प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव अनूप मलिक को शासन ने नोटिस जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी ने भी इस प्रकरण को गंभीरता से लिया था।

वन विभाग ने भी इस प्रकरण की अपने स्तर से जांच कराई। अधिकारियों के पांच सदस्यीय जांच दल ने स्थलीय निरीक्षण में बड़े पैमाने पर अनियमितता पाई। यह बात भी सामने आई कि निर्माण कार्यों के लिए किसी भी स्तर से वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति तक नहीं ली गई। इस बीच शासन ने प्रकरण की विजिलेंस जांच कराने का निर्णय ले लिया। विजिलेंस को आठ नवंबर 2021 को यह जांच मिली। अब उसकी जांच में भी प्रकरण में गंभीर अनियमितता की पुष्टि हुई है।

विजिलेंस जांच में सामने आया है कि सीटीआर में टाइगर सफारी के नाम पर अवैध निर्माण कराकर उन्हें निजी ठेकेदारों को देने की योजना थी। पाखरो में 106 हेक्टेयर में टाइगर सफारी से संबंधित अधिकांश कार्य पिछले साल आनन-फानन पूर्ण करा दिए गए। इसके लिए प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति तक नहीं ली गई। विजिलेंस के निदेशक अमित सिन्हा ने बताया कि इस प्रकरण की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। जांच में भ्रष्टाचार और सरकारी धन का गबन सहित कई गंभीर आरोप प्रथमदृष्टया सही पाए गए हैं।

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