देहरादून: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को मसूरी से बेहद लगाव था। उन्होंने यहां सिल्वर्टन ग्राउंड में जनसभा के साथ ही प्रार्थना सभाएं कीं और लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। मसूरी में वह स्वतंत्रता आंदोलन की धार को तेज करने भी आया करते थे।
उन्होंने यहां लोगों से स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने की भी अपील की थी। स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए वह यहां कई बड़े नेताओं के साथ बैठकें भी किया करते थे। महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में भी मसूरी शहर का जिक्र किया है।
मसूरी का सिल्वर्टन ग्राउंड आज भी लोगों को महात्मा गांधी की मौजूदगी का अहसास कराता है। वैसे तो मसूरी की नींव अंग्रेज अफसर कैप्टन यंग ने रखी थी, लेकिन इसी मसूरी ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। मसूरी वह स्थान है, जहां महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन की गति को तेज करने के लिए रणनीति बनाने को आया करते थे।
यहां वह कई बड़े नेताओं के साथ घंटों बैठक कर गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए चर्चा किया करते थे। उत्तर भारत में मसूरी और शिमला दो ऐसे हिल स्टेशन थे, जहां अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ें काफी गहरी और मजबूत थीं।
कहा जाता है कि मसूरी की मालरोड पर जब अंग्रेज अफसर घूमने निकलते थे तो उस समय स्थानीय लोग अपने घरों में छिप जाते थे। इस लिहाज से भी महात्मा गांधी का मसूरी आकर आंदोलन की योजना बनाना बहुत मायने रखता था।