बागेश्वर: अग्निवीर भर्ती में असफल रहने पर एक युवक ने जहर गटक लिया। जिसकी जिला अस्पताल में उपचार के दौरान दर्दनाक मौत हो गई है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कर उसे स्वजनों को सौंप दिया है। घटना के बाद गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।

बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील के फरसाली गांव निवासी 20 वर्षीय कमलेश गोस्वामी पुत्र हरीश गोस्वामी ने घर में रखा जहरीला पदार्थ गटक लिया। स्वजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाए। जहां से डाक्टरों ने जिला अस्पताल रेफर किया। बीते सोमवार की रात लगभग 11.30 बजे उसने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने बताया कि वह तीन भाई हैं। जिसमें एक भाई प्राइवेट और एक दुकानदारी करता है। पिता भी दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं। वह अपने परिवार का सबसे छोटा था। वह कोरोनाकाल से फौज में जाने की तैयारी कर रहा था। पिछली बार भी असफल रहा।

कमलेश इस बार अग्निवीर भर्ती में वह फिजिकल और मेडिकल में फिट था। एनसीसी का सी सार्टीफिकेट भी उसके पास था। बीते सोमवार को भर्ती का परीक्षाफल आया। वह तब ट्रैकर से खेत जोत रहा था। घर आने पर मोबाइल पर रिजल्ट देखा और असफल होने पर जहर गटक लिया।

 

कपकोट के पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने कहा कि मृतक ने सेना के लिए काफी मेहनत की। अगली भर्ती में उसकी उम्र अधिक हो जाती। उन्होंने घटना पर गहरा शोक जताया है।

उधर, थानाध्यक्ष कपकोट विवेक चंद्र ने बताया कि जहर खाने से पूर्व मृतक ने इंटरनेट मीडिया पर अपना स्टेट्स भी डाला था, जिसमें उसने भर्ती नहीं होने के कारण यह कदम उठाने की बात की है। कहा कि घटना की जांच की जा रही है। भर्ती में असफल होने की जानकारी उनके पास नहीं है। जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

अग्निवीर बनने की चाहत का सपना पाले कमलेश के जीवन में किससे और कहां पर चूक हुई कि उसे अग्निवीर का परिणाम घोषित होते ही अपनी जीवन लीला समाप्त करने की आवश्यकता पड़ी। कमलेश इतना क्षुब्ध क्यों हुआ कि अग्निवीर में चयन न होने की जानकारी होते ही कमलेश ने ऐसा कदम क्यों उठाया कि उसे अपने गरीब और वृद्ध माता-पिता की क्या हालत होगी यह याद तक नहीं रहा। कमलेश की आत्महत्या कई सवाल छोड़ गई है।
कमलेश के स्वजनों ने बताया कि कमलेश के परिवार की माली हालत सही नहीं है। उसके माता-पिता गांव में ही रहकर मेहनत मजदूरी करते हैं। जबकि बड़े भाई ने तीन दिन पूर्व ही जीविकोपार्जन के लिए दुकान खोली थी। छोटा भाई मुंबई में होटल में मजदूरी करता है। कमलेश को बचपन से ही सेना में जाने की इच्छा थी। इसके लिए वह नियमित रूप से तैयारी करता था।
सरकार ने अग्निवीर के पदों पर नियुक्ति निकाली। वह काफी उत्साहित था। उसकी इच्छा थी कि चार वर्ष की सेवा में वह देश सेवा करने के साथ ही परिवार की आर्थिकी भी सही कर लेगा। इसके बाद अपने माता-पिता की सेवा करेगा। नियति को यह मंजूर नहीं हुआ। उसे इस दौर से गुजरना पड़ा कि उसने अपनी जीवन लीला ही समाप्त करने की ठान ली। अपने परिवार समेत संगी साथियों को रोता विलखता छोड़ गया।

कमलेश की मौत के बाद जो सवाल प्रमुख रूप से उठ रहे हैं, उनमें यह कहा जा रहा है कि कमलेश की अग्निवीर भर्ती परीक्षा में शारीरिक परीक्षा, स्वास्थ्य परीक्षण परीक्षा में शत प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। एनसीसी का सी प्रमाण पत्र धारक होने के कारण उसने लिखित परीक्षा नहीं दी थी। क्योंकि नियम है कि सी प्रमाण पत्र वाले अभ्यर्थी की लिखित परीक्षा नहीं होती है।

कमलेश ने सेना में भर्ती होने की चाहत में स्कूल में एनसीसी का सी-सर्टिफिकेट प्राप्त किया था। इतनी योग्यता होने के बाद भी कमलेश का चयन अग्निवीर में क्यों नहीं हुआ। उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ा। इन सवालों का जवाब शायद मिलना संभव नहीं होगा।

आत्महत्या से पहले कमलेश ने अपने स्टेटस में रोते हुए जिस तरह से अपने प्राप्तांक व अन्य योग्यता की जानकारी दी। व्यवस्था को कोसा, उसे देखकर हर कोई भावुक हो रहा है।तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं।

अग्निवीर नहीं बन पाने से क्षुब्ध कमलेश को बचपन से सेना में जाने का चाहत थी। उसका खेल के प्रति काफी लगाव था। वह इंटर कालेज फरसाली से कुशल धावक था। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर चुका है।

कर्नल वीके उप्रेती, एनसीसी अधिकारी ने बताया कि अग्निवीर और सेना में भर्ती अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा देना अनिवार्य नहीं है। इस मामले में यह जानकारी आवश्यक है कि लिखित में सी प्रमाण पत्र वाले कितने अभ्यर्थी शामिल रहे। हो सकता है कि पद के सापेक्ष इनकी संख्या अधिक हो या कोई अन्य कारण हो सकता है। यह अलग मामला है। भर्ती प्रक्रिया के नियमों का अवलोकन करना होगा।

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