त्रिवेंद्र रावत के नक्शे कदम पर दो राज्य सरकारें पहले राजस्थान और अब हरियाणा

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एक बार फिर चर्चा में है कल उत्तराखंड भाजपा प्रभारी दुष्यंत गौतम और सह प्रभारी रेखा वर्मा की त्रिवेंद्र रावत के आवास पर मुलाकात के बाद कयासों का बाजार एक बार फिर गरम है। इस बीच उत्तराखंड का मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक फैसला फिर से चर्चा में आ गया है।

आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत पूरे देश में जहाँ प्रधानमंत्री मोदी ने 23 सितम्बर 2018 में की गई, वहीं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड में स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के विशेष दिन पर इस योजना को एक कदम आगे बढ़ाते हुए उत्तराखंड के हर परिवार को 05 लाख प्रतिवर्ष प्रति परिवार को स्वास्थ्य का सुरक्षा कवच प्रदान किया।

त्रिवेंद्र की दूरदर्शी सोच का ही परिणाम है कि आज इस विजनरी कदम के चलते जहाँ उत्तराखंड के 06 लाख से अधिक लोगों को मुफ्त उपचार मिला है वहीं उनके इलाज पर सरकार का 10 अरब से अधिक का खर्चा हो चुका है।

इसकाआंकलन कर सकते हैं की अगर सरकार द्वारा व्यय की गई राशि को जनता द्वारा स्वयं से देना पड़ता तो न जाने कितनों को अपने घर, जमीन, जेवरात आदि बेचने पड़ते और कई तो कर्ज में डूब जाते।

त्रिवेंद्र रावत की उस निर्णय के बाद राजस्थान सरकार ने भी प्रदेश की जनता को उसी प्रकार 500000 प्रति व्यक्ति के हिसाब से मुफ्त इलाज का ऐलान किया और अब हरियाणा सरकार ने भी त्रिवेंद्र रावत के उस फैसले को अपने प्रदेश में लागू कर त्रिवेंद्र रावत के फैसले पर मोहर लगाने का काम किया है ।

देखना है कि उत्तराखंड भाजपा प्रभारी और सह प्रभारी के त्रिवेंद्र रावत के घर पर पहुंचने के बाद उत्तराखंड की राजनीति किस करवट बैठती है।

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