देहरादून/केदारनाथ: केदारनाथ करोड़ों श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र है गौरीकुंड से श्रद्धालु जब 22 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई पैदल चलकर केदारनाथ पहुंचते हो और अगर वहां से यह खबर आए कि गर्भ ग्रह में लगा सोना पीतल में बदल रहा है तो यह मामला और भी गंभीर बन जाता है।

हाल ही में केदारनाथ के 1 तीर्थ पुरोहित द्वारा लगाए गए आरोप में यह कहा गया कि केदारनाथ गर्भ गृह में लगा सोना पीतल में बदल रहा है। उसके बाद भले बीकेटीसी ने अपना पक्ष रखा हो लेकिन सवाल कई खड़े होने शुरू हो गए हैं।

क्या जिस धाम में करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था हो वहां पर अगर में इस तरीके का मामला सामने आता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

जब भगवान के गर्भ ग्रह से ही ऐसी खबर आएंगी तो यह आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं तो क्या है?

अगर मैं तीर्थ पुरोहित ने झूठे आरोप लगाए हैं तो अभी तक बीकेटीसी ने कार्रवाई क्यों नहीं की?

इन सभी सवालों के जवाबों को लेकर करोड़ों भक्त आतुर हैं और जब तक बीकेटीसी यह स्पष्ट नहीं कर देता है तब तक करोड़ों भक्तों के जेहन में यह सवाल कायम रहेंगे।

BKTC ने रखा अपना ये पक्ष…..

केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण जड़ित करने पर इंटरनेट मीडिया में प्रसारित किए जा रहे आरोपों को श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने षड्यंत्र का हिस्सा बताया।

कहा कि दानीदाता ने मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण जड़ित करने की इच्छा प्रकट की थी। दानीदाता की भावनाओं का सम्मान करते हुए मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव को अनुमति दी गई। मंदिर समिति की इसमें कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी।

मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रविधानों के अनुरूप ही दानीदाता से दान स्वीकारा गया है। केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण जड़ित करने के लिए प्रदेश शासन से अनुमति ली गई। भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देखरेख में कार्य किया गया।

बीकेटीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि गर्भगृह को स्वर्ण जड़ित करने का कार्य स्वयं दानीदाता ने अपने स्तर से किया। दानीदाता ने अपने स्तर से ज्वेलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाई व फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई और अपने ज्वेलर्स के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर में स्थापित कराया।

सोना खरीदने से लेकर दीवारों पर जड़ने तक का संपूर्ण कार्य दानीदाता की ओर से कराया गया। अपने स्वर्णकार के माध्यम से बिल व बाउचर बीकेटीसी को कार्य पूर्ण होने के बाद दे दिए गए थे। जिन्हें बीकेटीसी ने नियमानुसार स्टाक बुक में दर्ज किया। दानस्वरूप किए इस कार्य के लिए दानी व्यक्ति अथवा किसी फर्म की ओर से बीकेटीसी के समक्ष किसी प्रकार की शर्त नहीं रखी गई। दानीदाता ने बीकेटीसी से आयकर अधिनियम की धारा- 80 जी का प्रमाण पत्र भी नहीं मांगा।

यात्रा को प्रभावित को लगा रहे आरोप….

बताया कि इसी दानीदाता ने वर्ष 2005 में बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह को भी स्वर्ण जड़ित किया था, लेकिन वर्तमान समय में एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत विद्वेषपूर्ण आरोप लगाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा व

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में सुव्यवस्थित यात्रा संचालन के कारण यात्री संख्या में भारी वृद्धि हुई है। यह बात कुछ राजनीतिक तत्वों को रास नहीं आ रही है। ऐसे तत्व यात्रा को प्रभावित करने व केदारनाथ धाम की छवि को धूमिल करने के लिए भ्रम फैला रहे हैं।

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