नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में हो रहे अवैध निर्माण और पेड़ों के कटान के खिलाफ दायर देहरादून निवासी अनु पंत और स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली दो जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने मामले की जांच सीबीआई को दे दी है।

इसके साथ ही नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य की अन्य जांच एजेंसियों से सीबीएआई का जांच में सहयोग करने को कहा है। कोर्ट ने आदेश की एक प्रति डायरेक्टर सीबीआई को शीघ्र भेजने के निर्देश दिए दिए हैं। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कोर्ट ने एक साल पहले पेड़ों के अवैध कटान के बारे में मुख्य सचिव को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिये थे। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि अभी तक छह हजार पेड़ काटे जा चुके हैं। अभी तक पांच जांच हो चुकी हैं। इसके बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। पेड़ कटान के साथ साथ अवैध निर्माण भी अधिकारियों की शह पर हो रहे हैं।

पूर्व में मुख्य सचिव ने भी अपने शपथ पत्र में कहा था कि वे समय समय पर उच्च न्यायालय को की जा रही कार्रवाई के बारे में अवगत कराते रहेंगे। परंतु एक वर्ष बीत जाने के बावजूद भी उनके द्वारा किसी भी तथ्य के बारे में माननीय न्यायालय को अवगत नहीं कराया गया।

उच्चतम न्यायालय ने भी अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का एक भी वृक्ष नहीं काटा जा सकता। न ही कोई निर्माण कार्य किया जा सकता है। परंतु वर्तमान में फॉरेस्ट सर्वे के अनुसार 6000 से ज्यादा पेड़ काटे जाने के साथ साथ कई अवैध निर्माण कर दिए गए हैं, जो देवभूमि उत्तराखंड के लिए एक काला धब्बा है। विभागाध्यक्ष द्वारा गठित जोशी कमेटी के अनुसार कई अफसरों को जिम्मेदार ठहराया गया है, लेकिन इन शीर्ष अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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