चंपावत: नवंबर बीत गया है। पूरे माह में चार पश्चिमी विक्षोभ आने के बाद भी कुमाऊं में शीतकाल की खास गतिविधि देखने को नहीं मिली। कुमाऊं मंडल में पिथौरागढ़, बागेश्वर व गढ़वाल में चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो उत्तराखंड को वर्षा व हिमपात के लिए तरसना पड़ा है।

26 नवंबर को सक्रिय हुआ ताजा पश्चिमी विक्षोभ एक दिसंबर तक कमजोर पड़ जाएगा। ऐसे में अगले पांच-सात दिन बाद नया विक्षोभ आने पर ही वर्षा व हिमपात की स्थिति बनेगी। पिछले 10 वर्षों में इस बार का नवंबर सबसे कम सर्द रहा है। इस बार नवंबर में एक बार भी तापमान सामान्य से नीचे नहीं पहुंचा।

2014 के बाद पंतनगर में सबसे कम 3.9 डिग्री तापमान 22 नवंबर 2020 को रहा था। सर्वकाल की बात करें तो सबसे कम 3.0 डिग्री तापमान 28 नवंबर 1985 को रहा। इस बार पंतनगर का पारा 10 डिग्री से नीचे नहीं आया है। पंतनगर में गुरुवार का न्यूनतम तापमान 10.3 डिग्री रहा जो सामान्य की अपेक्षा तीन डिग्री अधिक है। पर्वतीय क्षेत्र में मुक्तेश्वर में 2014 के बाद सबसे कम 1.7 डिग्री तापमान भी 22 नवंबर 2020 को रहा था। मुक्तेश्वर में नवंबर का सबसे कम -2.3 डिग्री तापमान 23 नवंबर 1992 को रहा था। इस बार पारा 4.0 डिग्री से नीचे नहीं आया। गुरुवार को 5.2 डिग्री तापमान रहा।

गुरुवार पूर्वाह्न चंपावत में आंशिक बादल छाए रहे। दोपहर बाद बादल छट गए। पश्चिमी हिमालय पर बना ताजा पश्चिमी विक्षोभ एक दिसंबर को कमजोर पड़ जाएगा। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के मौसम विज्ञानी डा. आरके सिंह ने बताया कि नवंबर में आए विक्षोभ का प्रभाव अन्य भागों की तुलना में जम्मू-कश्मीर व लद्दाख पर अधिक रहा। मैदानी क्षेत्र में पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में हल्की वर्षा देखी गई। सात दिसंबर के बाद नया पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय पर आ सकता है।

मैदानी क्षेत्रों में कोहरा छाने की शुरुआत होने लगी है। डा. सिंह ने बताया कि कोहरे की वजह से मैदानी क्षेत्रों में पारा गिरेगा। उच्च हिमालय में ताजा वर्षा व हिमपात से सर्द हवा चलने से पर्वतीय क्षेत्रों में एक से दो डिग्री पारा कम हो सकता है। गुरुवार को चंपावत में न्यूनतम तापमान 4.3 डिग्री, लोहाघाट में 3.2 डिग्री, जागेश्वर में 7.5 डिग्री, पिथौरागढ़ में 8.9 डिग्री, नैनीताल में 8.0 डिग्री व हल्द्वानी में 16.6 डिग्री रहा।L

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