कोटद्वार : लोनिवि दुगड्डा की ओर से बीते 13 जुलाई को टूटे मालन पुल के पुनर्निर्माण की कवायद तेज कर दी गई है। रविवार को आईआईटी बीएचयू (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) के विशेषज्ञों ने क्षतिग्रस्त मालन पुल का निरीक्षण कर इसके लिए तैयार किए गए डिजाइन को हरी झंडी दे दी है।

पिलर को वेल फाउंडेशन तकनीक पर बनाया जाएगा और अन्य स्ट्रक्चर पुराना ही होगा। डिजायन के साथ ही निर्माण के लिए बनाई गई डीपीआर को शासन को भेज दिया गया है। शासन से स्वीकृति मिलते ही टेंडर निकाल दिए जाएंगे। देर से ही सही, लोनिवि दुगड्डा की ओर से मालन पुल निर्माण के लिए डिजाइन और डीपीआर तैयार कर शासन को भेज दी गई है।

रविवार को आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर केके पाठक की अगुवाई में विशेषज्ञों के दल ने मालन नदी में पहुंचकर धरातलीय निरीक्षण किया। उनके साथ लोनिवि के अधीक्षण अभियंता पीएस बृजवाल और अधिशासी अभियंता डीपी सिंह मौजूद थे।

अधिशासी अभियंता डीपी सिंह ने बताया कि मालन पुल पर तमाम अध्ययन के बाद आईआईटी बीएचयू के विशेषज्ञों ने पुल का डिजाइन फाइनल कर लिया है। पुल के सभी 12 पिलर को वेल फाउंडेशन तकनीक पर बनाया जाएगा। पिलर को छोड़कर अन्य स्ट्रक्चर पुराना ही रहेगा जिसे मशीनों से उतारा और रखा जाएगा। पुल के निर्माण के लिए 28.01 करोड़ की लागत आएगी। लोनिवि के प्रमुख अभियंता दीपक कुमार यादव की ओर से उक्त डिजाइन व डीपीआर सचिव लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में प्रस्तुत कर दिया गया है। पुल टूटने के बाद से ही भाबर के 35 गांवों की करीब 50 हजार की आबादी वैकल्पिक कच्चे मार्गों से आवागमन कर परेशानी झेलने के लिए मजबूर हैं।

आईआईटी बीएचयू की ओर से तैयार डिजाइन को डीपीआर के साथ शासन में भेज दिया गया है। विशेषज्ञों की टीम ने एक बार फिर से मालन पुल का निरीक्षण किया है। स्वीकृति मिलते ही पुल के पिलर के निर्माण के लिए टेंडर व अन्य प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

डीपी सिंह, अधिशासी अभियंता लोनिवि दुगड्डा।

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