भोपाल: बीते 3 दिसंबर को आए मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणाम के 7 दिन बाद आखिरकार सोमवार शाम को मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया गया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का चयन करने के लिए बीजेपी ने सोमवार शाम 4 बजे विधायक दल की बैठक बुलाई। पर्यवेक्षक के रूप में हरियाणा के मुख्यमंत्री सहित 3 बीजेपी नेता सुबह भोपाल पहुंचे। शाम 4 बजे शुरू हुई विधायक दल की बैठक में पर्यवेक्षकों ने विधायकों से रायशुमारी की। पर्यवेक्षकों ने एक-एक विधायक से मुख्यमंत्री के नाम के बारे में राय ली। इसके बाद एक नाम पर सहमति बनी। इसके बाद इस नाम के बारे में पर्यवेक्षकों ने दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व को जानकारी दी।

भाजपा विधायक दल की बैठक में मोहन यादव के नाम पर सहमति बनी। मोहन यादव मध्य प्रदेश के 19 वें मुख्यमंत्री होंगे। वहीं, इस बार मध्य प्रदेश में दो डिप्टी सीएम भी बनाये जा रहे हैं। ये हैं जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला, इनके नामों का भी ऐलान कर दिया गया है। वहीं, नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा का स्पीकर बनाया जा रहा है।

सोमवार को बीजेपी के पर्यवेक्षेक सुबह भोपाल पहुंचे तो सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई। चूंकि छत्तीसगढ़ में आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसलिए ये कयास लगाए जाने लगे कि मध्यप्रदेश की कमान प्रहलाद पटेल को मिल सकती है। क्योंकि प्रहलाद पटेल ओबीसी वर्ग से आते हैं। इसके साथ ही प्रहलाद पटेल को राजनीति का भी अच्छा अनुभव है. बीजेपी में उनका कोई खेमा नहीं है। वह एक अच्छे वक्ता भी हैं. प्रहलाद पटेल को पीएम मोदी व गृह मंत्री अमित शाह का करीबी भी माना जाता है।

बता दें कि मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में शिवराज सिंह चौहान, प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लगातार चलता रहा। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद शिवराज सिंह चौहान को छोड़कर ये अन्य दावेदार लगातार दिल्ली में लॉबिंग करते रहे। इनमें प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान के साथ ही कैलाश विजयवर्गीय हाल ही में विधानसभा का चुनाव जीते हैं। नरेंद्र सिंह तोमर व प्रहलाद पटेल मोदी सरकार में मंत्री थे। इन्होंने अपने इस्तीफे दे दिए. इसके बाद इस बात को और बल मिला कि इन दो में से कोई एक एमपी का सीएम बन सकता है। सोमवार को विधायक दल की मीटिंग से पहले सिंधिंया दिल्ली में थे। ऐसे में ये तय हो गया कि सिंधिया सीएम की दौड़ से बाहर हो चुके हैं।

18 साल से ज्यादा समय से मुख्यमंत्री पद संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान ने अंत समय तक हार नहीं मानी. चुनाव परिणाम आने के बाद जहां सीएम के दावेदार चेहरे दिल्ली में लॉबिंग करते रहे तो शिवराज ने मध्यप्रदेश में ही रहना ठीक समझा। इसके साथ ही उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को प्रभावित करने के लिए लोकसभा चुनाव में 29 में से 29 सीटें जीतने का संकल्प लिया। इसके साथ ही शिवराज ने छिंदवाड़ा का दौरा किया। क्योंकि छिंदवाड़ा ही ऐसी लोकसभा सीट है जहां बीजेपी 2014 व 2019 में मोदी लहर के बाद भी जीत हासिल नहीं कर सकी. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने उन सीटों का दौरा किया जहां से बीजेपी को मोदी लहर के बाद भी हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही शिवराज इस दौरान लाड़ली बहना कार्यक्रम में भी शामिल होते रहे। शिवराज ये जताते रहे कि लाड़ली बहना योजना के कारण ही बीजेपी को बंपर जीत मिली है।

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