भारत चौहान

देशभक्ति का जज्बा किसी के अंदर जन्मजात होता है और किसी के खून में होता है l यहा बात कर रहा हूं जौनसार बावर के ग्राम क्यावा गावं के वीर शहीद केसरी चंद के परिवार की ।

जब देश अंग्रेजों के पराधीन था ऐसे में देश को स्वतंत्रता कराने के लिए शहीद केसरी चंद को 3 मई 1945 को सेंट्रल कारागार में फांसी पर चढ़ा दिया गया था । तब जौनसार बावर सहित संपूर्ण प्रदेश व देश में अंग्रेजों के विरुद्ध आग की ज्वाला भड़क रही थी l लंबे संघर्ष के बाद देश स्वतंत्र हुआ l शहीद केसरी चंद के परिजनों ने आजादी के बाद अपने घर से सेना में अधिकारी बनाने का सपना हमेशा पाले रखा l

मुख्य विकास अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए शहीद केसरी चंद के भतीजे टी.आर शर्मा जी चाहते थे कि उनकी संतान सेना में जाएं, परंतु परिस्थितियां ऐसी नहीं थी हालांकि उनके सुपुत्र प्रदेश के विभिन्न विभागों में उच्च पदों पर आसीन है । अभी श्री टीआर शर्मा जी का सपना तो अधूरा था परिवार से किसी ना किसी को सेना मे अफसर बनना चाहते थे ।

सेना में अधिकारी बनने का रास्ता देहरादून का प्रतिष्ठित विद्यालय आरआईएमसी से ही निकलता है। यहां पर उत्तराखंड से मात्र 1 विद्यार्थी का चयन इस सेना के प्रतिष्ठित विद्यालय में होता है । यह सौभाग्य है कि जौनसार बावर के खाती गांव के अपर सचिव से सेवानिवृत्त हुए अर्जुन सिंह राठौर के सुपुत्र देवास का इसमें प्रवेश हो गया था। उसी से प्रेरित होकर टी. आर शर्मा ने अपने पोते तन्मय शर्मा को सेना में अधिकारी बनने का सपना दिखाया और तन्मय ने आरआईएमसी की परीक्षा पास कर प्रदेश में इस एक सीट पर अपना कब्जा जमा लिया।

परिवार के अंदर देशभक्ति का जज्बा हिलोरे ले रहा था और ऐसे में तन्मय ने अपने पूर्वजों के पद चिन्हों पर चलकर देश के खातिर कुछ कर गुजरने की तमन्ना से एनडीए की परीक्षा प्रतिष्ठित अंको से पास की। जब तन्मय शर्मा से सेना में जाने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि मेरे परदादा ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए अपने प्राण न्योछावर किए थे, मेरे दादा चाहते थे कि मैं सेना में जाऊं, देश के खातिर परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाना व दादा जी के सपनों को साकार करने के लिए मैं भी सेना में भर्ती होना चाहता था ।

इस देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए मैं तन, मन, धन पूर्वक राष्ट्र की सेवा के लिए काम करूंगा। संपूर्ण प्रदेश को ऐसे परिवार व ऐसे होनहार युवा पर गर्व है ।

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