सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत बहू को अपने सास-ससुर के घर में रहने का अधिकार है।न्यायाधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने तरुण बत्रा मामले में दो न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को पलट दिया है।

कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि परिवार की साझा संपत्ति और रिहायशी घर में भी घरेलू हिंसा की शिकार पत्नी को हक मिलेगा। पीड़ित पत्नी को अपने ससुराल की पैतृक और साझा संपत्ति यानि घर में रहने का कानूनी अधिकार होगा। पति की अर्जित की हुई संपत्ति यानि अलग से बनाए हुए घर पर तो अधिकार होगा ही।

ये भी पढ़ें: SDM और CO की मौजूदगी में फायरिंग, एक व्यक्ति की मौत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में घरेलू हिंसा कानून 2005 का हवाला देते हुए कई बातें स्पष्ट की हैं। पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए दो सदस्यीय पीठ के फैसले को पलटते हुए 6-7 सवालों के जवाब भी दिए। पीठ ने यह फैसला साल 2006 के एसआर बत्रा और अन्य बनाम तरुण बत्रा के मामले की सुनवाई करते हुए सुनाया।

आपको बता दें, तरुण बत्रा मामले में दो जजों की पीठ ने कहा था कि कानून में बेटियां, अपने पति के माता-पिता के स्वामित्व वाली संपत्ति में नहीं रह सकती हैं। कोर्ट ने कहा कि पति की अलग-अलग संपत्ति में ही नहीं, बल्कि साझा घर में भी बहू का अधिकार है।

पहले दो सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि एक पत्नी के पास केवल अपने पति की संपत्ति पर अधिकार होता है। तरुण बत्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता निधि गुप्ता ने ने दलील पेश की। उन्होंने कहा कि अगर बहू संयुक्त परिवार की संपत्ति है तो मामले की समग्रता को देखने की जरूरत है। साथ ही, उसे घर में निवास करने का अधिकार है। इसके बाद अदालत ने दलील को स्वीकार कर लिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here