देवभूमि उत्तराखंड रहस्यों और चमत्कारों की अद्भुत भूमि है। वह भूमि जहां शिव के साथ शक्ति का वास है और शक्ति के बिना कोई भी चमत्कार संभव नहीं।उत्तराखंड के अल्मोड़ा में आदि शक्ति का एक ऐसा साक्षात सबूत है जो रहस्यों का भी रहस्य है।

माता का ऐसा मंदिर जहां चु्म्बकीय शक्ति या वैज्ञानिक भाषा में कहें तो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी का रहस्य छुपा है। ऐसा शक्तिपीठ जो दुनिया में गुरुत्वाकर्षण बल का केंद्र बना हुआ है। जो इंसानों को ज़मीन पर चलने की ताकत देता है। जो पृथ्वी पर जीवन का आधार कहा जा सकता है।

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वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी का जन्म 4 अरब 60 करोड़ साल पहले हुआ, लेकिन इंसान का जन्म एक जटिल प्रकिया के बाद हुआ। वैज्ञानिक तर्कों पर जाएं तो इंसानी सभ्यता का सबसे पहला काल, पाषाण काल कहा जाता है और अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर के पास से पाषाण काल के सबूत मिलते हैं। मतलब हज़ारों-लाखों साल पुराना एक रहस्य जिसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया।

कसार देवी का प्रचीन मंदिर अल्मोड़ा में एक छोटी सी पहाड़ी के नीचे बना हुआ है। चारों ओर कुदरत की खूबसूरत छटा और मंदिर के आस-पास असीम शांति का एहसास होता है। मंदिर अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी हैं। वैज्ञानिको का मानना है कि कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। मतलब एक ऐसी ऊर्जा जो दुनिया के संचालन के लिए सबसे जरूरी है।

पौराणिक मान्यताओं और चमत्कारों का रहस्य जब दुनिया तक पहुंचा तो अमेरिका की सबसे बड़ी रिसर्च कंपनी नासा ने भी इस पर रिसर्च करनी शुरू की। 2012 में अपनी आधुनिक मशीनें लगाकर उन्होंने पहाड़ के नीचे से आ रही ऊर्जा का पता लगाना शुरू किया लेकिन 8 साल बाद भी उनके हाथ खाली है। वैज्ञानिकों ने अपने- अपने अंदाज़े पर अलग-अलग थ्योरियां जरूर गढ़ दीं।

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