‘मेरी मौत के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है। मैं अपने घर में कई ख़र्चों की वजह हूं। मैं उन पर बोझ बनगई हूं। मेरी शिक्षा एक बोझ है। मैं पढ़ाई के बिना ज़िंदा नहीं रह सकती।’
देश के नामी शिक्षण संस्थानों में शुमार दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्रा ऐश्वर्या की आत्महत्या ने लोगों के साथ देशभर के शिक्षाविदों को भी झकझोर कर रख दिया है। आत्महत्या से पहले लिखे गए सुसाइड नोट में छात्रा ने अपनी आर्थिक बेबसी को बयां किया है।
वह हरहाल में पढ़ना चाहती थी….
सुसाइड नोट में लिखी उसकी बातों से ऐसा लगता है कि वह हरहाल में पढ़ना चाहती थी, लेकिन आर्थिक दिक्कत के चलते उसके सपना बिखरकर चूर-चूर होने लगे और जिससे वह टूट गई। यहां तक कि महज एक लैपटॉप लेने में भी असमर्थ थी। आखिरकार उसने जीवन की इहलीला का समाप्त कर लिया। ऐश्वर्या का सपना भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (IAS) बनने का था, लेकिन आर्थिक दिक्कतों ने उसके सारे अरमान ध्वस्त कर दिए।
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3 नवंबर को आत्महत्या करने वाली ऐश्ववर्य…
3 नवंबर को आत्महत्या करने वाली ऐश्ववर्य के सुसाइट नोट के मुताबिक, लॉकडाउन होने के चलते उसे आर्थिक दिक्कत थी और इसलिए वह लैपटॉप तक नहीं खरीद सकी। तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले की रहने वाली ऐश्वर्या ने अपने सुसाइड नोट में माता-पिता को संबोधित करते हुए लिखा है- ‘मुझे माफ कर देना। मैं एक अच्छी बेटी नहीं बन सकी।’ पढ़ाई-लिखाई में बेहद प्रतिभाशाली एश्वर्या ने अपने स्कूल में टॉप किया था। अपने मेरिट के दम ऐश्वर्या का दाखिल दिल्ली विश्वविद्यालय के नामी कॉलेज लेडी श्रीराम में हुआ। स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया और एनएसयूआइ (नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया) ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि छात्रा को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से इंस्पायर फेलोशिप मिलनी थी। नियम के मुताबिक मार्च में फेलोशिप मिल जाना चाहिए थी जो नहीं मिली।
मैं अच्छी बेटी नहीं बन सकी…
‘मेरी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। मैं अपने परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहती हूं। मैं पढ़ाई के बिना जिंदा नहीं रह सकती हूं, मैं इसके बारे में सोच रही थी और अब मुझे लगता हैं कि मौत ही मेरी लिए एक मात्र रास्ता रह गया है। मम्मी पापा मुझे माफ करें, मैं अच्छी बेटी नहीं बन सकी। ऐश्वर्या लेडी श्रीराम कॉलेज में बीएससी गणित द्वितीय वर्ष की छात्रा थी।