देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर दो बार विधायक और एक बार राज्य मंत्री रह चुके किशोर उपाध्याय के मन में यह बात घर कर गई है कि कांग्रेस में रहकर उनका विधायक बनना मुश्किल है

2017 के विधानसभा चुनाव में टिहरी से भागकर सहसपुर विधानसभा से प्रदेश अध्यक्ष रहते कांग्रेस के सिंबल पर लड़ने वाले किशोर उपाध्याय 2012 और 2017 में लगातार चुनाव हार कर हार की हैट्रिक पर खड़े हैं

विगत कुछ समय से उन्होंने टिहरी विधानसभा मैं अपनी गतिविधियां बढ़ाई है लेकिन जिस प्रकार का फीडबैक उन्हें मिल रहा है उससे हुए हार के प्रति आशान्वित दिखाई दे रहे हैं।

आज किशोर उपाध्याय ने जिस प्रकार की भड़ास कांग्रेस पर निकाली कि उन्हें समय से राज्यसभा नहीं भेजा गया तिवारी सरकार के दौरान उन्हें कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया और 2007 में नेता प्रतिपक्ष भी नहीं बनाया गया इन सब से यह स्पष्ट होता है कि किशोर उपाध्याय को टिहरी विधानसभा में भ्रमण के दौरान स्पष्ट हो चुका है कि उनकी धरातल पर जमीन पूरी तरह खिसक चुकी है।

जिस अंदाज में हुए कल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने हाथ जोड़ते दिखाई दिए उसे तो ऐसा लग रहा है कि वह अब भाजपा में जाने की गुहार लगा रहे हैं जिस प्रकार की पीड़ा आज उन्होंने हरिद्वार में दिखाई उसे यह बात तो साफ है कि किशोर को हार की हैट्रिक सामने दिखाई दे रही है और यह वही किशोर हैं जिनके प्रदेश अध्यक्ष रहते उत्तराखंड कांग्रेस के नौ विधायक पार्टी शुरु कर चले गए थे और तब भी किशोर उपाध्याय नहीं अपनी नाकामी को छुपाने की भरसक कोशिश की थी देखना है कि जो रोना आज उन्होंने हरिद्वार में रोया उसका आने वाले समय में टिहरी की जनता किस प्रकार का प्रतिफल देती है।

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