देहरादून: पूर्व सीएम हरीश रावत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के बीच एक बार फिर तकरार शुरू हो गई। किशोर के वर्ष 2017 के विस चुनाव में सहसपुर सीट से जबरन चुनाव लड़वाने और हराने का षड़यंत्र करने के आरोपों पर रावत ने आज पलटवार किया। अभी कुछ दिन पहले ही घसिसारी कल्याण योजना पर रावत के विरोध पर भी किशोर सवाल उठा चुके हैं।

सोशल मीडिया के जरिए रावत ने कहा कि मेरे एक अनन्य सहयोगी ने बहुत बार ये सार्वजनिक चर्चा छेड़ी है कि उन्हें सहसपुर से षडयंत्रपूर्वक लड़ाया गया। उनके न चाहते हुए लड़ाया गया। यह बात गलत है। रावत ने वर्ष 2017 के चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि किशोर ऋषिकेश से लड़ना चाहते थे। सबने उनके इस संकेत का भी स्वागत किया। फिर उन्होंने डोईवाला, रायवाला का भी उन्होंने आंकलन किया।

स्क्रीनिंग कमेटी में सारे सदस्यों के सामने उन्होंने अपने परिवार के लोगों से पूछा कि मुझे कहां से लड़ना चाहिये ? सहसपुर सीट पर किशोर की सहमति से ही स्क्रीनिंग कमेटी ने उनका नाम सहसपुर सीट के लिए फाइनल किया। किशोर के षड्यंत्र के आरोप पर रावत ने कहा कि न जाने यह कितना बड़ा षड़यंत्र हो गया है?  ऐसा लगता है कि 2016-17 में हम और कुछ नहीं कर रहे थे। केवल किशोर के खिलाफ ही षड़यंत्र कर रहे थे।

 

जब हम आगे बढ़ते हैं, तो उसमें बहुत सारे लोगों का हाथ होता है, सहयोग होता है। उन सबको षड्यंत्री समझ लेना कहां तक न्याय संगत है। इस पर लोग जरूर विचार करेंगे। बकौल रावत, मुझे दु:ख है कि बार-बार यह कहने से नुकसान हम ही को हो रहा है। कद्दू, छूरी में गिरे या छूरी कद्दू में गिरे” नुकसान हमारा अपना ही है। राजनीति के अंदर यदि आप मीठा सुन सकते हैं तो कभी-कभी कड़वा भी सुनना पड़ता है। देखते हैं, कहां तक संयम साथ देता है!
टिहरी सीट से कांग्रेस पार्टी ने अंतिम दम पर किशोर की संस्तुति पर ही उम्मीदवार तय किया और लड़ाया। उस दौरान टिहरी के लोग बड़ी संख्या में आए भी, पीसीसी में उपवास भी रखा और हमने पी.सी.सी. में जाकर के घोषणा की कि अब भी यदि वो मानते हैं तो हमें बड़ी खुशी होगी कि वो टिहरी से लड़ें। पार्टी उनको टिहरी के नेता के रूप में आज भी देखती है, पहले भी देखती रही है।
हरीश रावत, पूर्व सीएम

किसी समय रावत के बेहद करीबी माने जाने वाले किशोर की खटपट वर्ष 2016 के लोकसभा चुनाव से शुरू हुई। किशोर राज्यसभा जाना चाहते थे, लेकिन किशोर की जगह प्रदीप टम्टा को टिकट मिल गया। इसके बाद रावत और किशोर के रिश्ते बिगड़ गए। उसके बाद से किशोर लगातार अपनी सरकार पर सवाल उठाते रहे। उनके द्वारा सात हजार से ज्यदा चिट्टियां भेजने का मामला सुर्खियों में रहा। अभी हाल में घसियारी कल्याण योजना को लेकर भी किशोर की वजह से रावत असहज हुए। रावत जहां इस योजना के नाम का विरोध कर रहे हैं, वहीं किशोर ने योजना के नाम के समर्थन में आ गए हैं।

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