देहरादून: यूक्रेन समेत रूस में बड़ी संख्या में उत्तराखंड से बच्चे मेडिकल की पढ़ाई करने जाते हैं। इसके पीछे एक बड़ी वजह इन देशों में मेडिकल की पढ़ाई सस्ता होना है। यूक्रेन में एक साल की मेडिकल की पढ़ाई का खर्चा जहां महज 3.38 लाख रुपये है। वहीं ये खर्चा उत्तराखंड में 18 लाख रुपये सालाना से अधिक है।

इस खर्चे में प्राइवेट मेडिकल कालेजों की ओर से ली जाने वाली डोनेशन की रकम को नहीं जोड़ा गया है। यूक्रेन में सालाना 4500 डालर का खर्चा एमबीबीएस की पढ़ाई में आता है। जो भारतीय मुद्रा के अनुसार 3.38 लाख रुपये बैठता है। इसके अलावा अन्य मदों को जोड़कर सालाना कुल खर्चा पांच से छह लाख रुपये बैठता है।
उत्तराखंड में प्राइवेट मेडिकल कालेजों में मैनेजमेंट कोटे की फीस 18 लाख रुपये सालाना बैठती है। अन्य खर्चों को जोड़कर सालाना कुल खर्चा 27 लाख रुपये आता है। इसमें सिक्योरिटी, हॉस्टल खर्च भी शामिल है। उत्तराखंड में प्राइवेट मेडिकल कालेजों में सालाना इस 27 लाख रुपये फीस के साथ ही पहले वर्ष में प्रवेश के समय डोनेशन के रूप में एक बड़ी मोटी रकम भी ली जाती है।

सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की सीमित सीटें उपलब्ध होने के कारण मेडिकल के छात्रों को प्राइवेट मेडिकल कालेजों पर निर्भर रहना पड़ता है। यहां मेडिकल की पढ़ाई बहुत अधिक महंगी होने के कारण मध्यम वर्गीय परिवारों के छात्र पढ़ाई के लिए रूस, यूक्रेन जैसे देशों की ओर रुख कर रहे हैं।

रूस और यूक्रेन में छह साल के एमबीबीएस का कुल खर्चा 35 से 40 लाख के करीब आता है।
सस्ती मेडिकल शिक्षा के चलते प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में छात्र उत्तराखंड के साथ ही पूरे देश से पढ़ाई को यूक्रेन जाते हैं।

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