देहरादून:  राज्य में गहराए बिजली संकट के बीच यूपीसीएल में इस महीने वेतन का भी संकट गहरा गया है। बिजली संकट को नियंत्रित करने में जुटे कर्मचारी, इंजीनियरों को इस महीने वेतन भुगतान में कुछ लेट हो सकता है। ठेकेदारों का भुगतान पहले ही रोका जा चुका है।

पिटकुल, यूजेवीएनएल को भी इंतजार करने के लिए कहा गया है। केंद्रीय एजेंसियों को भी भुगतान रुक रुक कर किया जा रहा है। यूपीसीएल का अभी पूरा फोकस बाजार से नगद बिजली खरीद के लिए पैसे जुटाने पर है।

अभी राज्य में प्रतिदिन 14 से 16 मिलियन यूनिट बिजली की कमी सामने आ रही है। गैस पावर प्लांट से प्रतिदिन मिलने वाली 7.5 एमयू बिजली भी लंबे समय से नहीं मिल रही है। ऐसे में मौजूदा समय में यूपीसीएल बिजली सप्लाई के मामले में बाजार की बिजली पर निर्भर है। इस बिजली के लिए रोजाना पावर एक्सचेंज को नगद में भुगतान करना पड़ रहा है। इस नगद भुगतान को बनाए रखने को यूपीसीएल मैनेजमेंट ने अन्य शेष भुगतान पर रोक लगा दी है।

कर्मचारियों के वेतन भुगतान से पहले भी वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में संभावना यही जताई जा रही है कि इस बार मई के महीने में वेतन कुछ दिन लेट हो सकता है। फंड सेक्शन को ठेकेदारों का भुगतान रोकने के निर्देश दिए गए हैं।

यूपीसीएल में इस समय नियमित, उपनल, स्वयं सहायता समूह के मिला कर कुल 6900 कर्मचारी हैं। 2600 के करीब नियमित, 2800 उपनल, 1500 स्वयं सहायता समूह के कर्मचारी हैं। इसके साथ ही कई सब स्टेशन पूरी तरह ठेके पर दिए गए हैं। इनके कर्मचारियों की संख्या अलग है।

यूपीसीएल ने अप्रैल महीने में 400 करोड़ का राजस्व वसूला। इसके बाद भी आर्थिक संकट बना हुआ है। इस 400 करोड़ में से 376 करोड़ पावर एक्सचेंज के लिए भुगतान किया जा चुका है। वहीं एनटीपीसी, एनएचपीसी, यूजेवीएनएल, पिटकुल भी लगातार भुगतान को दबाव बनाए हुए हैं।

यूपीसीएल पर सरकार के भी 2800 करोड़ रुपये लौटाने का भार है। फ्री इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के रूप में लिए जाने वाले पैसे को सरकार को लौटाना होता है। यूपीसीएल सरकार को पूरा भुगतान नहीं कर पा रहा है।

यूपीसीएल का खजाना लगभग खाली है। जैसे तैसे जुगाड़ कर कर्मचारियों के वेतन के लिए बजट जुटाया जा रहा है। प्रतिदिन नगद बिजली खरीद का भार अलग से ऊपर है। बैंकों से भी लगातार ओवरड्रा हो रहा है। इस गहराते आर्थिक और बिजली संकट के बीच यूपीसीएल ने सरकार से 350 करोड़ की वित्तीय मदद सब्सिडी के रूप में किए जाने की मांग की है। सरकार से जल्द यदि राहत न मिली, तो यूपीसीएल बाजार से लगातार नगद बिजली खरीदने की स्थिति में नहीं रहेगा। ऐसे में मई महीने में लोगों को गंभीर बिजली संकट से भी जूझना पड़ सकता है।

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