देहरादून: बाहरी राज्यों से आने वाले किरायेदारों और श्रमिकों के पुलिस सत्यापन के लिए अब सिर्फ विवरण देने से काम नहीं चलेगा। अब उन्हें अपने दस्तावेज के संबंध में शपथपत्र के साथ-साथ मूल थाने की सत्यापन रिपोर्ट और चरित्र प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत करने होंगे। इसके बाद पुलिस इनका सत्यापन कराएगी। यदि दस्तावेज में फर्जीवाड़ा पाया गया तो मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

दरअसल, पुलिस एक्ट के तहत सत्यापन के लिए अभी तक किरायेदारों और श्रमिकों को केवल एक प्रारूप पर विवरण भरना होता है। इस विवरण के साथ उनका आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज अटैच किए जाते हैं। इसके बाद मकान मालिक और मैनेजर आदि इसे पुलिस थाने में जमा करते हैं। थाना पुलिस इसे व्यक्ति के संबंधित थाने को सत्यापन के लिए भेजती है। इस प्रक्रिया में कई बार ऐसा हुआ है कि विवरण सही नहीं पाए गए हैं। बहुत से लोग अपने फर्जी दस्तावेज जमा करते हैं।

डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि फर्जीवाड़े को देखते हुए पुलिस सत्यापन की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में बदलाव किया गया है। बाहर से आने वाले किरायेदारों और श्रमिकों को अपने मूल थाने की सत्यापन रिपोर्ट भी अपने मैनेजर, मकान मालिक को देनी होगी। साथ ही थाने की ओर से जारी चरित्र प्रमाणपत्र भी देना होगा। सभी दस्तावेज सही हैं, इस संबंध में एक शपथपत्र भी प्रस्तुत करना होगा। प्रक्रिया का उल्लंघन करने पर पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 83 के तहत कार्रवाई की जाएगी। यदि दस्तावेज फर्जी पाए गए तो मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

डीजीपी ने बताया कि इस संशोधन के पीछे बड़ा कारण था। वर्तमान में जो प्रक्रिया चल रही है, उसके तहत बाहरी राज्यों से सत्यापन प्रपत्रों (फॉर्म) पर संबंधित थाने से रिपोर्ट नहीं आ रही है। कई मामले इस तरह के सामने आ रहे हैं। इससे व्यक्ति की ओर से प्रस्तुत किए गए दस्तावेज की पुष्टि नहीं हो रही है। प्रक्रिया बदलने से सख्ती बढ़ेगी और संदिग्धों पर आसानी से नजर रखी जाएगी।

यदि कोई अपने मूल थाने से रिपोर्ट नहीं ला पाया है या फिर वर्तमान में जिसका सत्यापन लंबित है, उसे थोड़ा समय दिया जाएगा। यह समय इसलिए होगा कि वह अपने मूल थाने से सत्यापन रिपोर्ट और चरित्र प्रमाणपत्र को लाकर मकान मालिक या मैनेजर को दे सके। इसके बाद ही पुलिस अपनी प्रक्रिया शुरू करेगी। कुछ दिन बाद पुलिस सत्यापन अभियान भी चलाएगी।

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