देहरादून: केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में वैज्ञानिकों की टीम ने किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर तत्काल रोक की सिफारिश की है। वैज्ञानिकों ने सितंबर-अक्तूबर में हुए हिमस्खलन की तीन घटनाओं के बाद हवाई व स्थलीय निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।

दरअसल, सितंबर और अक्तूबर में केदारनाथ के ऊपरी क्षेत्र में चौराबाड़ी के नजदीकी ग्लेशियर में हिमस्खलन की तीन घटनाएं हुई। 2013 की केदारनाथ आपदा के खौफ को देखते हुए लोग सिहर गए। सरकार ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई। इस टीम ने अक्तूबर के पहले सप्ताह में केदारनाथ के ऊपरी क्षेत्रों में हवाई और स्थलीय सर्वेक्षण किया। सर्वे के बाद टीम ने जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी है, उसमें पूर्ण रूप से केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक की सिफारिश की है।

रिपोर्ट में बताया है कि उत्तराखंड के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों का हिमस्खलन की घटनाएं बीते दस साल में 100 से अधिक की मौत की वजह बन चुकी हैं। अक्तूबर 1998 में 27, 23 जून 2008 को आठ, 23 अक्तूबर 2021 को 16, दो अक्तूबर 2021 को सात पर्वतारोहियों की मौत हुई। केदारनाथ में पिछले एक माह में तीन बार हिमस्खलन हुआ है।

कुछ और सलाहें…….

  • केदारनाथ मंदिर के उत्तरी ढलान के साथ ही अलग-अलग ऊंचाई पर बेंचिंग की जाए ताकि ढलाने की तीव्रता कम हो जाए
  • हिमस्खलन ढलानों पर हिमस्खलन या कंक्रीट के अवरोधक लगाए जाएं। इन अवरोधकों का डिजाइन, आकार जांच के बाद तय किया जाए
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  • केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में रेत के टीले बनाए जाएं। बदरीनाथ मंदिर के पीछे यह बनाए जा चुके हैं। इससे बर्फ नीचे आने की तीव्रता कम की जा सकेगी
  • ग्लेशियर प्रभावित क्षेत्रों में हिमस्खलन आम है। लिहाजा, मीडिया और लोगों की जिम्मेदारी है कि वह जागरूकता फैलाएं। अफवाह को रोकें

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