उत्तरकाशी : सिलक्यारा में अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स की देखरेख में चल रहे ऑपरेशन में विशेषज्ञ वर्टिकल ड्रिलिंग को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ ने कहा कि वर्टिकल ड्रिलिंग भी एक विकल्प है, लेकिन संभव है कि वह अंतिम विकल्प हो।

सरियों में फंसे ऑगर मशीन के ब्लेड को काटने का काम लगातार जारी है। इस काम में हैदराबाद से प्लाज्मा कटर पहुंचने के बाद तेजी आने की उम्मीद है। सुरंग के ऊपर मशीन का एक अन्य महत्वपूर्ण पार्ट जिससे ड्रिलिंग होती है, वह पहुंचाया जाना बाकी है। टीम का कहना है कि काम जारी है जल्द ही दूसरा पार्ट भी पहुंचा दिया जाएगा। वहीं, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब आज से वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू किया जा सकता है।

सिलक्यारा की जिस सुरंग में 14 दिन से मजदूर फंसे हैं, उसके प्रवेश द्वार पर रिस रहे पानी ने सबकी चिंताएं बढ़ा दीं। शनिवार को पानी टपकने लगा। हालांकि, अधिकारी इसे सामान्य घटना मान रहे हैं।

सीएम धामी ने कहा, ये अभियान कठिन परिस्थितियों में चल रहा है। पाइप के भीतर 45 मीटर ब्लेड फंस गए थे, जिनका 20 मीटर हिस्सा काटकर निकाला जा चुका है। बाकी 25 मीटर को काटने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है। कटर के शनिवार की सुबह तक सिलक्यारा पहुंचने का अनुमान है।

इन चार योजनाओं पर होगा काम….

योजना एक : ऑगर मशीन के फंसे हिस्से को काटकर निकाला जाएगा। इसके बाद मैन्युअली यानि मजदूर हाथों से खोदाई कर मलबा निकालेंगे।

योजना दो: इसमें निर्माणाधीन सुरंग के ऊपरी क्षेत्र में 82 मीटर दूरी पर खोदाई होगी। इसके लिए मशीन का प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया गया है। मशीन के एक हिस्से को भी वहां पहुंचा दिया गया है।

योजना तीन : सुरंग के दूसरे छोर पाल गांव बड़कोट की तरफ से खोदाई का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। यह करीब पांच सौ मीटर हिस्सा है। इस अभियान में भी 12 से 13 दिन लगने का अनुमान है।

योजना चार: इसमें सुरंग के दोनों किनारों पर समानांतर (हॉरिजेंटल) ड्रिलिंग की जानी है। इसका सर्वे हो चुका है। रविवार को इस योजना पर भी काम शुरू किया जा सकता है।

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